सैनिक स्कूल के इतिहास में पहली बार लड़कियों के लिए खोले गए दरवाज़े

1442

देशभर के 27 सैनिक स्कूलों में आज तक किसी भी छात्रा का दाखिला नहीं हुआ. सैनिक स्कूल में सिर्फ लड़के ही पढ़ते आये हैं जो आगे जाकर भारतीय सेना का हिस्सा बनते हैं. हालांकि भारतीय सेना के हर हिस्से में अब औरतों की भागेदारी है, शायद इन्ही बातों को ध्यान में रखकर लखनऊ के सैनिक स्कूल ने लड़कियों के आगमन के लिए  दरवाज़ा खोला दिया है.

देश भर के सभी सैनिक स्कूलों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय सैनिक स्कूल में लड़कियों को एडमिशन दिया गया है. लखनऊ के सैनिक स्कूल की स्थापना 15 जुलाई 1960 में की गई थी. तब ये देश का पहला सैनिक स्कूल था. इसके बाद देश के अन्य हिस्सों में 27 सैनिक स्कूल खोले गए. बाद में कारगिल वॉर के हीरो शहीद मनोज पांडेय के नाम पर लखनऊ के सैनिक स्कूल का नाम रखा गया.

कारगिल वॉर के हीरो थे कैप्टेन मनोज पांडेय

कैप्टन मनोज पांडेय साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ करगिल की लड़ाई में लड़ते हुए शहीद हो गए थे. वह उत्तर प्रदेश के सीतापुर के रहने वाले थे. कारगिल युद्ध में साहस दिखाने पर उन्हें वीरता के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित भी किया गया था. पाकिस्तान के खिलाफ करगिल युद्ध के कठिन मोर्चों में एक मोर्चा खालूबार का था, यह सबसे मुश्किल इलाका था. कैप्टेन पांडेय ने 1/11 गोरखा राइफल्स की अगुवाई की थी. जब वह शहीद हुए उस समय उनकी उम्र 24 साल की थी.

यह सैनिक स्कूल देश का पहला स्कूल है जहां के छात्र मनोज पांडेय को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है. जुलाई 2017 में यूपी सरकार की कैबिनेट बैठक में स्कूल का सैनिक स्कूल का नाम ‘कैप्टन मनोज पांडेय सैनिक’ स्कूल किए जाने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी.

सिर्फ स्कूल नही, जीने का सलीक़ा है ये

दिलचस्प बात ये है कि लखनऊ के सैनिक स्कूल में एडमिशन लेने के लिए देशभर से करीब 2500 लड़कियां एंट्रेंस एग्जाम में बैठी थीं. जिनमें से 15 लड़कियों को चुना गया.

First time girls student 1 news4social -

सैनिक स्कूल राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में एडमिशन के लिए युवाओं को तैयार करने के साथ उन्हें शैक्षिक वातावरण भी उपलब्ध कराते हैं. बच्चों के संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए सैनिक स्कूलों में एथलेटिक ट्रैक, क्रांसकंट्री ट्रैक, इंडोर गेम्स, बॉक्सिंग रिंग, फायरिंग रेंज, हार्स राइडिंग क्लब, माउंटेनरिंग क्लब, ट्रैकिंग क्लब, फाइन आट्र्स और क्राफ्ट वर्ग क्लब, म्यूजिक थियेटर आर्ट्स क्लब, ऐरो और शिप मॉडलिंग क्लब आदि की सुविधा दी जाती है. सैनिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों में से बेहतरीन का चयन कर उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से सैन्य तैयारी के लिए भेजा जाता है. इन स्कूलों में दी जाने वाली शिक्षा वह नींव बनती है जिसके आधार पर आगे चल कर बच्चे देश के सशक्त सैनिक बनते हैं. आपको जानकार गर्व होगा कि यूपी के सैनिक स्कूल से इन 57 सालों में 1,000 से ज़्यादा बच्चे अधिकारी बन चुके हैं.

ऐसा होगा छात्राओं का रूटीन

सैनिक स्कूल के प्रिंसिपल कर्नल, अमित चटर्जी ने बताया छात्राओं को सुबह 6 बजे 1 घंटा एक्सरसाइज़ के लिए जाना होगा. फिर आठ बजे सबको ‘एसेंबली’ के लिए पहुंचना होगा. जिसके बाद 9 से 2 बजे तक क्लासेज़ चलेंगी. क्लासेज़ के बाद सभी स्टूडेंट्स जाकर आराम करेंगे. फिर आराम करने के बाद शाम चार बजे से पांच बजे के बीच स्पोर्ट्स एक्टिविटी करवाई जाएगी.

कर्नल चटर्जी का कहना है कि देश के सभी 27 सैनिक स्कूल केंद्र सरकार के अधीन हैं, जबकि यहां राजधानी लखनऊ का सैनिक स्कूल राज्य सरकार के अधीन है. अब तक केवल बालकों को ही कक्षा सात में सैनिक स्कूल में प्रवेश दिया जाता था. मगर इस बार लड़कियों के लिए भी नए रास्ते खुले हैं.

वहीं सैनिक स्कूल में लड़कियों को एडमिशन देने से पहले हॉस्टल तैयार करवाएं गए हैं ताकि लड़कियों को किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना न करना पड़े.