G7 की बैठक में आसियान देशों को क्यों बुला रहा ब्रिटेन? एशिया में चीन को घेरने का बनेगा प्लान?

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G7 की बैठक में आसियान देशों को क्यों बुला रहा ब्रिटेन? एशिया में चीन को घेरने का बनेगा प्लान?

लंदन
ब्रिटेन की मेजबानी में अगले महीने आयोजित होने वाले जी-7 की बैठक में दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) के सदस्यों को भी आमंत्रित किया गया है। जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। यह बैठक लिवरपुल में 10 से 12 दिसंबर के बीच आयोजित होने वाली है। ब्रिटेन ने इसमें आसियान सदस्य देश मलेशिया, थाईलैंड और इंडोनेशिया के विदेश मंत्रियों को आमंत्रित किया है। एक दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ बैठक की थी।

ब्रिटेन की विदेश मंत्री ने की आसियान को निमंत्रण की पुष्टि
ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रूस ने कहा कि अगले महीने लिवरपूल में जी-7 के विदेश मंत्रियों की बैठक इस शहर को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर है। इसमें ब्रिटिश संस्कृति, वाणिज्य और रचनात्मकता का सर्वोत्तम प्रदर्शन किया गया है। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि अगले महीने होने वाली जी-7 की बैठक में आसियान देशों के विदेश मंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। हालांकि, उन्होंने म्यांमार के शामिल होने पर कोई जवाब नहीं दिया।

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आसियान देशों के साथ कैसे हैं चीन के संबंध?
आसियान के सदस्य देश चीन के पड़ोस में स्थित हैं। इनमें से अधिकतर देशों के साथ चीन के संबंध अच्छे नहीं है। अमेरिका और ब्रिटेन इसी का फायदा उठाकर इन देशों को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं। ये सभी देश स्वतंत्रता, संप्रभुता, समानता, क्षेत्रीय अखंडता और सभी देशों की राष्ट्रीय पहचान के लिये पारस्परिक सम्मान की नीति अपनाए हुए हैं। जबकि, चीन पूरे दक्षिण चीन सागर को अपना इलाका बताता है। अगर ये देश अमेरिका और ब्रिटेन के प्रति अपने समर्थन को बढ़ाते हैं तो इससे क्षेत्र में चीन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।

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आसियान देशों को साधने से अमेरिका-ब्रिटेन को क्या फायदा?
आसियान एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में व्यापार, राजनीति और सुरक्षा के मुद्दों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसके सदस्य देशों की कुल जनसंख्या भारत और चीन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं। इतना ही नहीं, आसियान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार भी है। यूरोपीय संघ और अमेरिका का बाजार भी आसियान से छोटा है। इसकी अर्थव्यवस्था एशिया में तीसरी और विश्व में छठें स्थान पर है। निवेश को लेकर आसियान वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा लोकप्रिय क्षेत्र है। ऐसे में इन देशों से अमेरिका और ब्रिटेन को बड़ा बाजार भी मिल सकता है।

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चीन को घर में ही घेरने की कोशिश में अमेरिका-ब्रिटेन?
अमेरिका और ब्रिटेन एशिया में ही चीन को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। चीन का लगभग सभी आसियान सदस्य देशों के साथ विवाद है। एक दिन पहले ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सफाई देते हुए कहा था कि चीन का इरादा दक्षिण पूर्व एशिया पर वर्चस्व कायम करने का नहीं है। इसके बावजूद चीनी सेना लगातार आक्रामक कार्रवाईयों को जारी रखे हुए है। यही कारण है कि अमेरिका और ब्रिटेन ने दक्षिण चीन सागर और आसपास के इलाकों में अपनी नौसैनिक उपस्थिति को बढ़ा दिया है।

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दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी बढ़ी
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी और चीन के बढ़ते आक्रामक रूख से एशिया में काफी तनाव देखा जा रहा है। दक्षिण चीन सागर, हिंद महासागर, जापान सागर, प्रशांत महासागर में चीन की गतिविधियों से अमेरिका और ब्रिटेन की चिंता बढ़ी हुई है। दूसरी तरफ, चीन लगातार अपना प्रभुत्व बढ़ाता जा रहा है। उसने हाल में ही फिलीपींस की नौसेना को खदेड़ा और लाओस में नौसैनिक बेस को तैयार कर लिया है। चीनी सेना हिंद महासागर में भी अपनी पनडुब्बियों को तैनात किए हुए है।

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ताइवान को लेकर भी अमेरिका और चीन आमने-सामने
अमेरिका और चीन ताइवान को लेकर आमने-सामने है। शी जिनपिंग और जो बाइडन के शिखर सम्मेलन के दौरान भी ताइवान का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। इस पर जिनपिंग ने कहा था कि ताइवान उनके देश का अभिन्न अंग है और इसपर कोई समझौता नहीं हो सकता है। इतना ही नहीं, उन्होंने यहां तक कहा कि चीन के युवाओं से लेकर सभी उम्र के लोगों का सपना ताइवान को अपने देश में मिलाने का है। वह शांतिपूर्व तरीके से धीरे-धीरे ताइवान को अपने देश में मिलाने की कोशिश करते रहेंगे।

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क्या है G-7?
जी-7 दुनिया की 7 बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, जर्मनी, इटली और कनाडा शामिल हैं। इसकी पहली शिखर बैठक 1975 में हुई थी लेकिन तब इसके सिर्फ 6 सदस्य थे। 1976 में कनाडा भी इसके साथ जुड़ गया जिसके बाद इसे ‘ग्रुप ऑफ सेवन’ नाम मिला। इस बार से शिखर सम्मेलन के लिए जी-7 के अध्यक्ष के नाते ब्रिटेन ने आसियान देशों को आमंत्रित किया है।



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