सपा को फायदा, बीजेपी को नुकसान : स्‍वामी प्रसाद मौर्य के इस्‍तीफे पर अंदर की बात समझ‍िए

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सपा को फायदा, बीजेपी को नुकसान : स्‍वामी प्रसाद मौर्य के इस्‍तीफे पर अंदर की बात समझ‍िए

सपा को फायदा, बीजेपी को नुकसान : स्‍वामी प्रसाद मौर्य के इस्‍तीफे पर अंदर की बात समझ‍िए

हाइलाइट्स

  • स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिया योगी कैबिनेट से इस्तीफा, काफी वक्त से नाराज थे
  • सियासी मौसम विज्ञानी के तौर पर जाने जाते हैं, अब सपा में जाने की तैयारी
  • यूपी कैबिनेट से इस्तीफे के तुरंत मौर्य SP प्रमुख अखिलेश यादव से मिले
  • स्वामी प्रसाद के समर्थक बोले- जहां स्वामी जाएंगे, उनके साथ जाएंगे

लखनऊ
पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के तीन दिन पहले योगी सरकार में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मंगलवार को राजभवन को भेजे इस्तीफे में उन्होंने इसकी वजह दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगारों व छोटे-मध्यम व्यापारियों की घोर उपेक्षा बताई है। स्वामी के इस्तीफे के ऐलान के तुरंत बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनके साथ अपनी तस्वीर ट्वीट कर कहा कि स्वामी व उनके साथ आने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत है। ऐसे में स्वामी के सपा में जाने की संभावना है। हालांकि, उन्होंने समर्थकों से चर्चा कर फैसला लेने की बात कही है।

काफी वक्त से नाराज थे स्वामी
स्वामी प्रसाद मौर्य अचानक ही इस्तीफा नहीं दिया, वह करीब डेढ़ साल से नाराज चल रहे थे। कई मौकों पर उन्होंने इसका इजहार भी किया पर भाजपा आलाकमान से इसे नजर अंदाज कर दिया। बीते नवंबर में भाजपा ने साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में मौर्य, शाक्य, सैनी सम्मेलन का आयोजन किया पर सम्मेलन में मंच पर उनकी फोटो नहीं लगाई गई। इस पर उनकी बेटी और बदायूं से भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने आपत्ति भी दर्ज करवाई लेकिन किसी ने सुना नहीं।

सम्मेलन में संघमित्रा को बीच में बोलने से रोक दिया गया तो उनके समर्थकों ने नारेबाजी भी की। बाद में उन्हें चुप करवाया गया। स्वामी आउटसोर्सिंग से भर्ती न किए जाने की बात कई बार कैबिनेट में कह चुके थे, पर उसे किसी ने तवज्जो नहीं दी। कुछ अपने लोगों को संगठन में भी उन्होंने पद दिलाने की कोशिश की, पर असफल रहे। अब वह चुनाव में अपने बेटे के साथ समर्थकों के लिए भी टिकट चाह रहे थे। खासतौर पर कुशीनगर, पडरौना, बदायूं, रायबरेली, शाहजहांपुर जिलों में अपनों को टिकट दिलाना चाह रहे थे और भाजपा ने खराब छवि वाले उनके समर्थक विधायकों के टिकट काटने का भी इशारा कर दिया था। यह बात उन्हें चुभ गई और उन्होंने किनारा कस लिया।

कई जिलों में पड़ सकता है असर
स्वामी प्रसाद का प्रभाव कुशीनगर, रायबरेली, ऊंचाहार, शाहजहांपुर और बदायूं तक माना जाता है। ऐसे में स्वामी के भाजपा छोड़ने से इन जिलों की कई सीटों पर सत्तारूढ़ दल की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। चुनाव से ऐन पहले मंत्री व विधायकों के पाला बदलने से बने परसप्शन का नुकसान भी भाजपा को झेलना पड़ेगा। पिछड़ों, वंचितों की उपेक्षा के आरोपों को भी बल मिलेगा। वहीं, सपा अगर स्वामी को अपने पाले में कर लेती है तो सत्ता के लिए उसके दावे को और दमदारी से देखा जाएगा। साथ ही, गैर यादव ओबीसी वोटों को जोड़ने में भी स्वामी काम आ सकते हैं।

22 में स्वाहा हो जाएंगे भाजपा नेता : स्वामी
इस्तीफा देने के बाद स्वामी ने कहा कि किसानों, दलितों, नौजवानों के साथ जो व्यवहार हो रहा है वह बर्दाश्त नहीं है। मैंने कई मंत्रियों से बात की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में बिना सम्मान के बीजेपी में नहीं रह सकता था। टिकट को लेकर नाराजगी के सवाल पर उनका कहना था कि भाजपा अगर उनके दोगुने लोगों को भी टिकट दे दे, तो भी जहां सम्मान नहीं है, वहां नहीं रह सकता। यूपी की राजनीति स्वामी प्रसाद मौर्य के चारों ओर घूमती है। जिन नेताओं को यह घमंड है कि वह बहुत बड़ी तोप हैं तो उस तोप को 2022 में ऐसा दागूंगा कि भाजपा के नेता ही स्वाहा हो जाएंगे।

राजभवन से अब तक पुष्टि नहीं
करीब 20 साल तक बसपा में अहम पदों पर रहे स्वामी ने 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की सदस्यता ली थी। उस समय वह बसपा में नेता प्रतिपक्ष थे। 2017 में पडरौना से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें श्रम व सेवायोजन मंत्री बनाया गया था। 2017 में उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य भी ऊंचाहार से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में स्वामी की बेटी संघमित्रा बदायूं से भाजपा के टिकट पर सांसद बनीं। अब 2022 के चुनाव के पहले स्वामी ने भाजपा को झटका दिया है। स्वामी का इस्तीफा स्वीकारने की अब तक राजभवन ने पुष्टि नहीं की है।

विधायक रोशन लेकर पहुंचे स्वामी का इस्तीफा
स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ने की चर्चा पिछले कुछ दिनों से तेज थी। हालांकि, वह इसका खंडन कर रहे थे। 3 जनवरी को श्रमिकों के भरण-पोषण भत्ता वितरण कार्यक्रम में उन्होंने योगी सरकार की खूब तारीफ की थी। लेकिन, मंगलवार को उन्होंने सोशल मीडिया पर इस्तीफे का पत्र ट्वीट कर सरकार छोड़ने की जानकारी दी। इसके बाद भाजपा के ही तिलहर से विधायक रोशन लाल वर्मा उनका इस्तीफा लेकर राजभवन पहुंचे। वहां, अधिकारियों ने गेट पर उनका पत्र रिसीव किया। स्वामी के घर पर बिल्हौर से भाजपा विधायक भगवती सागर और तिंदवारी से भाजपा विधायक बृजेश प्रजापति भी मौजूद थे। ये भी स्वामी के साथ सपा में जा सकते हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने स्वामी व रोशन के साथ अपनी तस्वीर भी ट्वीट की है। सूत्रों का कहना है कि मंगलवार सुबह दोनों नेताओं ने अखिलेश से मुलाकात की थी। हालांकि, स्वामी का कहना है कि वह कहां जाएंगे इसका फैसला समर्थकों व कार्यकर्ताओं से बात करने के बाद लेंगे। लेकिन, वह जहां भी जाएंगे, उनके साथ 10-12 विधायक और भी जाएंगे।

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संघमित्रा पर भी सवाल
स्वामी के इस्तीफे के साथ ही उनकी बेटी व बदायूं से सांसद संघमित्रा मौर्य के भी पाला बदलने की चर्चाएं तेज हैं। वह पहले भी कुछ मौकों पर पार्टी के खिलाफ मुखर रही हैं। स्वामी का कहना है कि उनके फैसले से उनकी बेटी का कोई लेना-देना नहीं है, उन्हें कहां रहना है इसका फैसला वह खुद लेंगी। मंगलवार को स्वामी के साथ ही सरकार में मंत्री धर्म सिंह सैनी, विधायक धर्मेंद्र शाक्य, नीरज मौर्य, विनय शाक्य सहित कुछ और विधायकों के भी सपा में जाने की चर्चाएं होने लगीं, लेकिन शाम तक सबने खंडन कर दिया। सूत्रों का कहना है कि भाजपा की ओर से भी डैमेज कंट्रोल की कोशिशें तेज हो गई हैं। शीर्ष स्तर के नेताओं ने स्वामी से बात कर उन्हें मनाने की कोशिश की है। शायद यही वजह है कि अखिलेश के साथ फोटो सार्वजनिक होने के बाद भी स्वामी ने सपा जाने का ऐलान नहीं किया है।

अखिलेश स्वागत को तैयार
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के ऐलान के तुरंत बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनके साथ अपनी तस्वीर ट्वीट की। कहा कि स्वामी व उनके साथ आने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत है।

अखिलेश से मिले मौर्य

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