गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है. यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है और यह सभी जानते है कि महाराष्ट्र में इस त्यौहार को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. पुराणों में कहा गया है कि दिन गणेश जी का जन्म हुआ था और गणेश चतुर्थी के दिन ही इनकी पूजा हिन्दु धर्म में की जाती है. कई ऐसी जगह है जहां पर गणेश की प्रतिमा की पूजा कि जाती है.
गणेश जी की 9 दिन तक पूजा की जाती है. इस पूजा में कई लोग शामिल होते है और 9 दिन बाद पूजा कर बड़े ही धूम-धाम से गाजे बाजे के साथ गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है. भगवान गणेश जी को ज्ञान, वृध्दि और सौभाग्य का प्रतीक कहा जाता है भगवान गणेश को गजानन, गजदत, गुजमुख नामों से बुलाया जाता है. गणेश जी ने अधर्म का नाश करने के लिए हर बरा समय- समय पर अवतार लिए है इन्हीं अवतारों के अनुसार उनकी पूजा भी की जाती है.
आइए जानते है भगवान गणेश जी के श्री अवतार
महोत्कट विनायक
इन्हें कृत युग में कश्यप व अदिति ने जन्म दिया था. इस अवतार में गणपति ने देवतान्तक व नरान्तक नामक राक्षसों का संहार कर धर्म की स्थापना की व अपने अवतार की समाप्ति की.
गुणेश
त्रेता युग में गणपति ने उमा के गर्भ से जन्म लिया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन जन्म लिया. इस युग में उन्हें ‘गुणेश’ के नाम से जाना गया. इसी अवतार में भगवान गणशे ने सिंधु नामक दैत्य का विनाश किया था. और ब्रह्मदेव की कन्याएं सिद्धि और रिद्धि से विवाह किया.
गजानन
द्वापर युग में भगवान गणेश जी ने पुन: से मां पार्वती के गर्भ से जन्मे और गजानन कहलाए, इसी अवतार में गणेश जन्म से ही कुरूप थे, इसलिए मां पार्वती ने उन्हें जंगल में छोड़ दिया, जहाँ पर पराशर मुनि ने उनका पालन-पोषण किया.
इस युग में गणेश जी ने सिंदुराशुर का वध किया. जिन राजाओं का सिंदुराशुर ने वध किया था उसने कई वीर राजाओं को कैद कर रखा था. गणेश जी ने इस राक्षश के कैद से इन राजाओं को मुक्त करा दिया. यही नहीं इस अवतार में ही भगवान गणेश ने वरेण्य नामक अपने भक्त को गणेश गीता और ज्ञान और उपदेश दिये थे.
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जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ने लगता है. तब तब इसका नाश करने के लिए हर युग में समय-समय पर भगवान गणेश जी ने अवतार लिया है और इनकी इन्हीं अवतारों के अनुसार पूजा की जाती है.