Ghaziabad Election: 70 साल, 15 चुनाव और सिर्फ 2 महिला विधायक! जानिए क्या कहता है विधानसभा सीट का इतिहास

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Ghaziabad Election: 70 साल, 15 चुनाव और सिर्फ 2 महिला विधायक! जानिए क्या कहता है विधानसभा सीट का इतिहास

गाजियाबाद: देश हो या प्रदेश, तेजतर्रार महिला राजनीतिज्ञ अपनी धमक दिखाती रही हैं, लेकिन गाजियाबाद में महिलाएं यहां पिछड़ती दिख रही हैं। न तो पार्टियों की तरफ से उन्हें कोई खास तवज्जो मिलती दिखती है और न ही अब तक जिले में हुए चुनावों में उन्हें बहुत सफलता मिली। आजादी के बाद 1952 में शुरू हुए विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो जिले में सिर्फ मोदीनगर ही ऐसी विधानसभा सीट रही है, जिसने 2 बार महिलाओं को जिताकर विधायक बनने का मौका दिया।

गाजियाबाद के 4 अन्य विधानसभा क्षेत्र में पुरुष ही विधायक बनते चले आ रहे हैं। इस बार चुनाव में मोदीनगर से ही मंजू शिवाच बीजेपी के टिकट पर और पूनम गर्ग बीएसपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। जिले में 28 लाख मतदाताओं में से करीब 13 लाख महिला वोटर हैं। इसके बावजूद आधी आबादी को पूरा मौका न मिल पाना कई सवाल खड़े करता है। राजनीतिक दलों का दावा है कि महिला मतदाता ही महिला उम्मीदवारों को तरजीह नहीं देती हैं। इस कारण उन्हें टिकट देने को लेकर उस प्रकार का उत्साह राजनीतिक दल नहीं दिखाते हैं।

मोदीनगर के नाम है यह रिकॉर्ड
मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र पर नजर डालें तो 1957 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विचित्र नारायण विधायक बने थे। 1962 में दोबारा उन्हें ही जीत मिली। 1967 में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के एस प्रसाद मोदीनगर के विधायक बने, जबकि 1969 में शेर अली खान ने भारतीय क्रांति दल के प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की। इसी प्रकार, 1974 में कांग्रेस के मेघनाथ सिंह, 1977 में जनता पार्टी के सोहनवीर, 1980 में इंदिरा कांग्रेस के सुखबीर सिंह गहलोत, 1985 में कांग्रेस की विमला सिंह जीतकर विधायक बनीं।

1989 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े सुखबीर सिंह गहलोत जीते और 1991 में दोबारा वही विधायक बने। 1993, 1996 और 2002 में बीजेपी के नरेंद्र सिंह सिसोदिया जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2012 में बसपा के टिकट पर राज्यपाल सिंह और 2017 में बीजेपी से मंजू शिवाच को विधायक बनने का मौका मिला।

दूसरी सीटों पर नहीं मिला मौका
इस तरह से जनपद में एकमात्र मोदीनगर विधानसभा सीट ऐसी रही, जिसने 1985 में कांग्रेस के टिकट पर विमला सिंह और 2017 में बीजेपी की मंजू शिवाच को विधायक बनाया। वहीं, 13 बार पुरुष विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे। दूसरी तरफ, जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में गाजियाबाद सदर, मुरादनगर, लोनी और साहिबाबाद में एक बार भी यहां के मतदाताओं ने किसी भी महिला नेत्री को चुनाव नहीं जिताया।

जीत नहीं सकी थी सुनीता दयाल
2004 के उपचुनाव में बीजेपी ने पार्टी की तेजतर्रार नेता सुनीता दयाल को टिकट दिया था। उनके लिए राजनाथ सिंह सहित कई बड़े नेता प्रचार करने यहां आए थे, लेकिन इसके बावजूद सुनीता दयाल 44,334 वोट पाकर तीसरे स्थान पर ही आ सकीं। उस उपचुनाव में सपा से चुनाव जीतने वाले सुरेंद्र कुमार मुन्नी 64,172 वोट पाकर पहले और कांग्रेस के सतीश त्यागी 52,715 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे थे।

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