मोदी के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में आयी अड़चन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वकांक्षी बुलेट ट्रेन योजना के खिलाफ अब गोदरेज समूह खड़ा हो गया है। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित 3.5 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ ये समूह बोम्बे हाईकोर्ट पहुंचा है। समूह ने राष्ट्रीय हाई स्पीड रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) को अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित जमीन के पास दूसरा हिस्सा देने की पेशकश की है। रिपोर्ट के मुताबकि जिस 3.5 हेक्टेयर जमीन के खिलाफ गोदरेज समूह हाईकोर्ट पहुंचा वहां 508 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक में से 21 किलोमीटर ट्रैक अंडरग्राउंड बिछाने की योजना है। अंडरग्राउंड टनल के एंट्री प्वाइंट्स में से एक गोदरेज की विक्रोली वाली जमीन की हद में आता है। इसी बात से नाराज से होकर बॉयस मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (गोदरेज ग्रुप की कंपनी) मई में बोम्बे हाईकोर्ट पहुंची थी। कोर्ट में कंपनी ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए प्रस्तावित अधिग्रहण की जाने वाली जमीन के खिलाफ अपनी दलील दी। पिछले महीने समूह ने कहा कि वह विकल्प के तौर पर दूसरी जमीन मुहैया करा सकता है। यह जगह प्रस्तावित प्रोजेक्ट से 250 मीटर की दूरी पर है। कोर्ट में समूह ने अपनी दलील में कहा है कि मूल साइट पर उसका गोदाम है, जिसके विस्तार की योजना है।

Dream Project -

मामले में 19 जून को हुई सुनवाई में रेलवे के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता से वैकल्पिक जमीन के संबंध में कुछ प्रस्ताव मिलने की उम्मीद है। इसके लिए दोनों पक्षों को छह सप्ताह का समय दिया गया है। अब कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 31 जुलाई, 2018 तय की है। वहीं NHSRCL उस दिन कोर्ट में तकनीकी संभाव्यता रिपोर्ट पेश करना चाहता है। दूसरी तरफ NHSRCL के मैनेजिंग डायरेक्टर अचल खरे ने जापानी टीम को वैकल्पिक साइट पर काम करने के अलावा इस परियोजना के डिजाइन पर काम करने का निर्देश दिया है। NHSRCL के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि किसी भी मामले में बुलेट ट्रेन के लिए मूल कॉरिडोर को बदला नहीं जाएगा। वहीं गोदरेज के अधिकारी ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है।