आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट: रंग लायी इरोम की तपस्या, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

194

5 नवंबर 2000 को 28 साल की इरोम चानू शर्मिला ने उपवास पर बैठने का फैसला लिया| उनकी मांग बस इतनी थी कि सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों से ‘आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट’ (AFSPA)  हटा ले| कथित तौर पर ऐसे कई सबूत मिले थे जिसमे इस कानून के उपयोग की वजह से बेगुनाह लोग अपनी जान गंवा बैठे थे| हर तरफ से आम जन सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हो रहा था| अंततः इरोम ने अहिंसक विरोध दर्ज करते हुए अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठने का फैसला लिया| उस वक़्त शायद खुद इरोम को भी नहीं पता था कि उनका उपवास एक राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा| इरोम 16 साल तक बिना खाना और पानी पिए ज़िंदा रहीं, लडती रहीं, मगर सरकार ने AFSPA नही हटाया| अंततः कई कारणों की वजह से 9 अगस्त 2016 को उन्होंने अपना उपवास तोड़ा| लेकिन उम्मीद ज़िंदा रखी कि शायद वक़्त और कानून बदलेगा|

आज सरकार ने पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए बड़ा फैसला लेते हुए मेघालय से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) हटाने का निर्णय किया है| मेघालय के अलावा अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों से भी इस कानून को हटा दिया गया है| इस कानून तहत सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार हासिल हैं जिसका स्थानीय लोग लगातार विरोध करते आए हैं|

गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक यह फैसला 31 मार्च से अमल में आ गया है| इसके अनुसार पूरे मेघालय से इस कानून को हटाया गया है| साथ ही असम के सीमावर्ती इलाकों के 16 पुलिस स्टेशनों और आउटपोस्ट से घटाकर 8 तक सीमित कर दिया गया है| साल 2017 में पूर्वोत्तर में उग्रवादी घटनाएं 37 फीसदी तक घटी हैं और इसी के मद्देनज़र गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है|

irom sharmila 1 news4social -

गृह मंत्रालय ने बताया कि उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (सोंगबिजीत) का असर भी कम हुआ है| हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने के ऑपरेशन में (NDFB-S) के 63 काडर निष्क्रिय हुए हैं और इनमें में 1000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है| दिसंबर 2014 से मार्च 2018 के बीच हुए ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं|

पूर्वोत्तर राज्यों में साल 2017 से सुरक्षा के लिए तैनान जवानों की मौत की घटनाओं में 30 फीसद की गिरावट आई है साथ ही आम नागरिकों की मौत के आंकड़े भी 23 फीसद कम हुए हैं| सुदूर इलाकों को जोड़ने के लिए हेलिकॉप्टर सेवा को असम तक बढ़ाने का फैसला भी लिया गया है|

इलाके में सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए सरकार ने इसी साल मार्च में 10 रिज़र्व बटालियन बनाने की घोषणा की थी| इसमें असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा के लिए दो-दो बटालियन निर्धारित की थीं| इन नई बटालियन के खर्च में आने वाली लागत का 75 फीसदी और इनके लिए आधारभूत सुविधाएं बनाने में आने वाली लागत का 50 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी|

खैर! अंत भला तो सब भला| सरकार के इस फैसले की सबसे ज़्यादा बधाई इरोम को ही दी जानी चाहिए| ये कहना गलत नही होगा कि उनके विरोध ने इस मुद्दे को इतने लम्बे वक़्त तक चर्चा में रखा और आखिरकार बदलाव हुआ|