असम: सरकार ने बोडो समूह के साथ शांति समझौते पर किया हस्ताक्षर

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असम में एक तरफ जहाँ NRC को लेकर घमासान मचा हुआ है वहीं सरकार के लिए एक राहत भरी खबर आयी है। दरअसल हमेशा अपने एक अलग अस्तित्व के लिए भारत सरकार के खिलाफ रहने वाले एक उग्रवादी बोडो समूह ने सरकार के साथ समझौता कर लिया है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।

सरकार ने बोडो मिलिटेंट समूह नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU) के सभी गुटों के साथ गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सोमवार को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता बोडो समुदाय के लिए राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। ।

यह कहते हुए कि समझौता असम के लिए और बोडो समुदाय के लिए एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करेगा, अमित शाह ने कहा, “130 हथियारों के साथ 1550 कैडर 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे। गृह मंत्री के रूप में मैं सभी प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी वादे होंगे।”

असम के वित्त मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बोडो समाज के सभी हितधारकों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए और असम की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि की।

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि यह समझौता बोडो मुद्दे का व्यापक समाधान लाएगा।

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समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी, एबीएसयू के चार गुटों के शीर्ष नेतृत्व, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने हस्ताक्षर किए।

हालांकि, एक अलग बोडोलैंड राज्य या एक नए केंद्र शासित प्रदेश के संदर्भ में क्षेत्रीय परिवर्तन के लिए बोडो संगठनों की मांग को समझौते में शामिल नहीं किया गया था। पिछले हफ्ते हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य की क्षेत्रीय अखंडता संरक्षित रहेगी।

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भारत सरकार ने असम सरकार को स्पष्ट रूप से सूचित किया है कि असम में कोई नया विभाजन नहीं होगा और किसी भी नए केंद्र शासित प्रदेश का गठन नहीं होगा। असम की क्षेत्रीय अखंडता संरक्षित रहेगी। सरमा ने कहा कि किसी भी नए गांव या इलाके को शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं होगा।