हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह के परिवार ने दिया बलिदान

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हिंदू धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह के परिवार ने दिया बलिदान

हिंदू घर्म की रक्षा के लिए गुरू गोबिंद सिंह के परिवार में सदस्यों ने अपना बलिदान दिया है. जिसमें सबसे पहले तो है गुरू तेग बहादुर जिनकी मिसाले लोग आज भी देते है और उनकी शहीदी पर्व को आज भी पंजाब में हिन्दु सिख एकता का प्रतीक माना जाता है. इतना ही नहीं खुद गुरू गोबिंद सिंह के बेटे भी इसमें शहीद हो गए.

सिखों के 9वें गुरू तेग बहादुर ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटवा दिया था. यह तब किया जब औंरगजेब द्वारा हिंदूओं को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा था. तब उन्होंने अपनी शहीदी के जरिए इस पर रोक लगाई थी. जिसके बाद इनके बेटे जिनकी उम्र नौ साल की थी.

जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापाना के बाद गुरू गोबिंद सिंह कहलाए थे. इन्होंने अपने पिता को खुद इन शब्दों के साथ शहीदी के लिए प्रेरित किया था कि इन दिनों आपसे बड़ी महान आत्मा कौन हो सकता है.

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बता दें कि भारतीय अध्यात्म परंपरा में साहस का समावेश करके अपने धर्म, अपने देश, अपनी स्वतंत्रता और अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी. बाबा बुड्ढ़ा ने गुरु हरगोविंद को ‘मीरी’ और ‘पीरी’ दो तलवारें पहनाई थीं. पहली आध्यात्मिकता की प्रतीक थी, तो दूसरी सांसारिकता की.

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इसी परिवार के दो पुत्रों को चमकौर के युद्ध में शहीद होना पड़ा, दो पुत्रों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया. इन्होंने जाना वीरता व बलिदान की विलक्षण मिसालें दी हैं.