क्या भारत में लॉकडाउन फेल हो गया ?
बीमारी किसी के बस में नहीं है, विपदा कोई नोटिस देकर नहीं आती लेकिन जब विपदा आ जाती है तो इससे निपटने का तरीका जरूर लोगों को ही निकालना पड़ता है. जब बात देश के स्तर की हो तो सरकार को इसका हल निकालना पड़ता है. अब धीरे-धीरे ये बात साफ हो रही है सरकार से कहीं न कहीं कोई तो चूक हुई है। 30 जनवरी को भारत में चीन के वुहान से आए 3 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. यानी कि भारत में कोरोना जनवरी में ही दस्तक दे चुका था.
ऐसा नहीं है कि इससे पहले भारत सरकार को चीन में फैल रहे कोरोना के बारे में जानकारी नहीं थी. देश और दुनिया भर की मीडिया में चीन के वुहान की तस्वीरें दिखाई जा रही थी. साफ है कि भारत में भी विदेश मंत्रालय से लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां इस पर नजर रख रही होंगी. लेकिन ये महामारी भारत में भी बड़े पैमाने पर फैल सकती है इसे लेकर बहुत ज्यादा गंभीर चर्चा नहीं हुई। कोरोना संक्रमितों की देश में आने की शुरुआत भले ही चीन से हुई थी लेकिन फरवरी और मार्च में आए ज्यादातर संक्रमित लोग यूरोपीय देशों से आए थे.
ऐसे में जब तक सभी की स्क्रीनिंग का फैसला लिया गया तब तक में लाखों लोग बिना चेंकिंग के घुस चुके थे। RTI कार्यकर्ता साकेत गोखले के जवाब में सरकार ने जो आंकड़ें दिए हैं उससे आपको सरकार के रिस्पॉन्स का पता चल जाएगा। जानकारों का मानना है कि भारत ने विदेश से आनेवाले यात्रियों की स्क्रीनिंग में बहुत देर की. कई संक्रमित बिना स्क्रीनिंग के ही देश में घुस आए थे. एक्सपर्ट्स के मुताबिक जब भारत में पहला केस आया तभी भारत को अगले 6 महीने के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रा बंद कर देनी चाहिए थी.
लेकिन सरकार ने ये फैसला लेने में दो महीने का वक्त लगा दिया. सरकार ने 23 मार्च को देश में हर तरीके की हवाई यात्रा को बंद करने का फैसला लिया. यानि की देश में पहला मामला आने के करीब 2 महीने बाद ये फैसला लिया गया। इसका नतीजा ये हुआ की देश में लाखों प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया. रातों रात उनके काम धंधे बंद हो गए. लाखों लोग बेरोजगार हो गए. जो लोग हर दिन कमाकर खाते थे उनके पास अब कुछ नहीं बचा था.
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उनके लिए कोरोना से बड़ा संकट घर से बेघर होना और भुखमरी था. सरकार की तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हो रही थीं।मुश्किल घड़ी में लोगों को अपना घर ही याद आता है. ऐसे में ये लोग दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से यूपी और बिहार जाने के लिए पैदल ही अपने घरों से निकल पड़े. जैसे ही लाखों मजदूर सड़क के रास्ते अपने घर जाने को निकले देश में कोरोना फैलने का खतरा कई गुना बढ़ गया.
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