ऐतिहासिक उपलब्धि: साड़ी पहनकर १३ हज़ार फीट की ऊंचाई से लगाई छलांग

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देश की महिलाएं आजकल हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे निकल रही हैं. खेल हो चाहे पढ़ाई हर क्षेत्र में लड़कियां स्वर्ण पदक हासिल कर चुकी हैं. महिलाओं का किसी भी खेल में स्पोर्ट्स कोसट्यूम पहनकर जीत हासिल करना तो आम बात है. लेकिन एक भारतीय महिला का साड़ी पहनकर स्काइडाइविंग करना आश्चर्य जनक है. साड़ी पहनकर १३ हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने वाली एक महिला की खबर चर्चा में है.

पुणे की शीतल राणे-महाजन ने थाइलैंड में सोमवार को रंगीन साड़ी पहनकर स्काइडाइविंग की.   इस तरह साड़ी पहनकर स्काइडाइविंग करने वाली प्रथम भारतीय महिला बनने का रिकॉर्ड शीतल ने अपने नाम कर लिया. राणे-महाजन विश्व प्रसिद्ध पर्यटक रिसॉर्ट पट्टाया के ऊपर एक विमान से लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई से दो बार छलांग लगाने में सफल रहीं. २००३ से एडवेंचर स्पोर्ट्स की दुनिया में पहचान बना चुकी शीतल पहली भारतीय हैं. पद्मश्री से नवाजे जाने वाली शीतल महाजन जुड़वां बेटों की मां हैं. इसके अलावा इनके नाम पर छह अंतर्राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है. अपने 14 साल के करियर में शीतल नेशनल और इंटरनेशलन स्तर पर 705 स्काइडाइव लगा चुकी हैं.

Sky Diving Record -

शीतल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘मैं अगले महीने आने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कुछ अलग करना चाहती थी. इसलिए मैंने अपने स्काइडाइव के लिए नौवारी साड़ी पहनने का निर्णय लिया.’ उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह साड़ी करीब 8.25 मीटर लंबी थी , जोकि आम भारतीय साड़ियों से ज्यादा लंबाई की है. अपनी पहली लैंडिंग में शीतल थोड़ी लड़खडाई. लेकिन उन्होंने इसे सुरक्षित तरीके से अंजाम दे दिया शीतल ने अपनी इस रोमांचक घटना के बारे में बात करते हुये बताया , ‘पहले साड़ी पहनना, इसके ऊपर पैराशूट पहनना, फिर सेफ्टी गियर, संचार सामग्री, हेलमेट, गोगल्स, जूते इत्यादि पहनने व लगाने ने स्काइडाइविंग को चुनौतिपूर्ण बना दिया था.’ इस वजह से उन्होंने काफ़ी एहतियात बरती और  अपनी साड़ी में कई जगह पिन लगाई.

कैसे आई स्काईडाइविंग में

शीतल ने स्काइडाइविंग की शुरुआत कमांडर कमल सिंह ओबड से प्रेरित हो कर की थी. दरअसल वर्ष २००० में वो पुणे में अपने घर के पास वाले प्रेस की दुकान से जब कपड़े लाने गई थी, तब उनकी नज़र कपड़े पर लपेटे गए न्यूज़ पेपर पर गयी. न्यूज पेपर में कमल सिंह ओबड की फोटो छपी थी. कमांडर कमल सिंह ओबड खुद एक स्काईडाइवर थे और  शीतल के सहेली के बड़े भाई भी थे.इसके बाद अखबार में उनकी खबर पढ़कर शीतल ने कमल से फोन पर बात की और ठान लिया की उनको स्काइडाइवर ही बनना है.

जाबांज शीतल का कहना है मैं यह साबित करना चाहती थी कि भारतीय महिला न केवल अपने सामान्य दिनचर्या में यह साड़ी पहन सकती है बल्कि स्काइडाइविंग जैसे जोखिम भरे एडवेंचर को भी इसी साड़ी में अंजाम दे सकती है.