भरवाड़ समाज का इतिहास

9587
भरवाड़ समाज
भरवाड़ समाज

भरवाड़ भारत के गुजरात राज्य में पाई जाने वाली एक हिंदू जाति है. जो मुख्य रूप से पशुपालन व्यवसाय का काम करती है. भरवाड़ जाति के लोग खुद को पुराने नंदवंश से संबंधित मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि नंद वंश की शुरूआत कृष्ण भगवान को पालने वाले उसके पालक पिता द्वारा हुई.

images -
भरवाड़ समाज

ऐसा माना जाता है कि नंद मथुरा जिले के गोकुल से आए थे तथा द्वारका के रास्ते सौराष्ट्र से गुजरे. सिंध पर होने वाले मुस्लिम आक्रमण से दूरी बनाने की इच्छा से. 961 ईं. में वे उत्तरी शहर भानसकंठा तथा उसके बाद सौराष्ट्र तथा अन्य क्षेत्रों में फैल गए. इस समाज के लोग मुख्य रूप से भेड़-बकरियों के पालन से जुड़े हुए थे.

images 1 -
बाबा नंद

इस समाज के लोग प्राथमिक रूप से इतने शिक्षित नहीं हैं तथा इनकी साक्षरता दर बहुत कम रही है. इनमें से काफी गिर राष्ट्रिय उद्यान के आस पास रहते हैं. जिससे वो एशियाई शेरों के हमलों से अपने पशुधन का बचा पाएं. पशुपालन के साथ साथ इस सामाज के लोग कृषि कार्यों में भी लगें हुए हैं. लेकिन बहुत कम लोगों के पास खुद की जमीन हैं.

यह भी पढ़ें: सिक्किम में संगीत का इतिहास

इस समाज में विभाजन की बात करें, तो मोताभाई और नानाभाई के बीच विभाजन के अनेंक कारण दिए जाते हैं, जिसमें सबसे एक है कि ऐसा माना जाता है कि दो चरवाहे भाईयों को कृष्ण ने आदेश दिया की अपनी भेड़-बकरियों को लेकर अलग-अलग स्थानों पर ले जाओं. एक भाई ने एक भरवाड़ महिला से शादी कर ली तथा दूसरे भाई ने कोली से शादी कर ली. दूसरे भाई ने अपने समुदाय से बाहर शादी की थी, इस कारण रिति रिवाज में उसको दुषित माना गया.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है.