वामपंथी या left Wing पार्टी की विचारधारा को समझने के लिए सबसे पहले हमें इसके इतिहास की जानकारी होना अति आवशयक है. जब फ्रांस में क्राति हुई तब जो लोग फ्रांस के राजा के समर्थन में थे, वो राजा के दांए ओर तथा जो लोग राजा के विरोध में थे वो लोग राजा के बाएं ओर बैठे. जो लोग दांए बैठे उन लोगों के विचार थे कि जो स्थिति चल रही है, उसमें थोड़ा- बहुत बदलाव किया जाए अर्थात् मोटे तौर पर देखे तो वो जो परंपराएं चली आ रही थी, उन्हीं में विश्वास करते थे तथा जो लोग बाएं बैठे थे उन लोगों के विचार थे कि क्रांति से समाज में एकदम से परिवर्तन लाया जाए. वर्तमान के पूरे के पूरे ढाँचे को ही बदल दिया जाए. यहीं से left Wing ( वामपंथी ) or Right Wing ( दक्षिणपंथी ) शब्द राजनीति में प्रयोग होने लगा.
राष्ट्रीय आंदोलन के समय वाम पक्ष दो दलों में विभाजित हो गया. पहला भारतीय कम्युनिस्ट दल (C.P.I) तथा दूसरा कांग्रेस समाजवाती पार्टी (C.S.P). भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा भारत माता के वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी साम्यवादी चिंतन से प्रभावित थे. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने महात्मा गांधी से अलग होने के बाद 1939 में एक नए वामपंथी विचारधारा वाला फाँरवर्ड दल बनाया.
भारत में कम्युनिस्ट दल की बात करें, जोकि वामपंथी विचारधार से संबंध रखता है. इस दल पर आरोप लगता है कि यह पार्टी विदेशों में होने वाले घटनाक्रम के अनुसार अपनी विचारधार बदल लेती थी. यानि यह विदेशों के हाथों की कटपुतली थी.
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द्वितीय विश्व युद्ध के समय यह दल स्टालिन के अधिन रूस का गुणगान करते थे तथा हिटलर की आलोचना करते थे. जब हिटलर ने स्टालिन के साथ युद्ध ना करने की नीति अपनाई तो यह दल हिटलर को शांति का मसीहा बताने लगा. 1942 में साम्यवादी दल ने एक प्रस्ताव पास किया जिसमें भारत को एक बहुराष्ट्रीय राज्य घोषित कर दिया.