मेवाड़ माली समाज का इतिहास

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माली समाज
माली समाज

इतिहास में किसी भी समाज की उत्पत्ति को लेकर कई मत हो सकते हैं. बशर्त अगर उनकी पुष्टी कोई प्रमाणिक स्त्रोत नहीं करता हो. मेवाड़ के माली समाज के इतिहास के बारे में कोई ठोस जानकारी तो उपलब्ध नहीं हैं. लेकिन माली समाज के इतिहास और उत्पत्ति को लेकर कई मान्यताएं हैं.

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शिव पार्वती से माली समाज की उत्तत्ति

माली समाज की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द माला से हुई है. एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि माली समाज की उत्पत्ति भगवान शिव के कान में जमा धुल ( कान के मैल ) से हुई है. उसकी इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि एक बार देवी माता पार्वती अपने बगीचे में फूल तोड़ने गई थी. वहां फूल तोड़ते हुए उसके हाथ में एक कांटा लग गया. इससे देवी पार्वती का खून निकलने लगा. उसी खून से माली समाज की उत्तपत्ति हुई तथा वहीं से माली समाज बागवानी के पेशे से जुड़ा.

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पृथ्वीराज चौहान राजपूत शासक

इसके अलावा कुछ मान्यताएं ऐसी भी हैं कि माली समाज में एक वर्ग राजपूतों की उपश्रेणियों का भी है. जब हिंदू सम्राट पृथ्वी राज चौहान के पतन के बाद जब मोहम्मद गौरी शक्तिशाली हो गए, तो उन्होनें दिल्ली और अजमेर पर अपना कब्जा कर लिया. बताया जाता है कि काफी राजपूत युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए. कुछ को बंदी बना लिया गया. कुछ राजपूतों ने अपने आप को बचाने के लिए मुस्लिम धर्म अपना लिया. इसके अलावा कुछ राजपूतों ने खेती और बागवानी को अपना पेशा बना लिया. जो बाद में जाकर माली समाज के रूप में सामने आए.  

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इसी माली समाज की एक शाखा बाद में मेवाड़ के माली समाज के रूप में सामने आई.