सवाल 27- लोग डिप्रेशन को कैसे कम कर सकते है?

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सवाल 27- लोग डिप्रेशन को कैसे कम कर सकते है?

आज की मशीनी ज़िंदगी में हमारे पास ख़ुद के बारे में सोचने की फ़ुर्सत नहीं होती है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि लोग आजकल हर छोटी बात को लेकर डिप्रेशन में चले जाते है. WHO के मुताबिक़ पिछले एक दशक में डिप्रेशन के मामलों में 18% की बढ़ोतरी हुई है. उस रिपोर्ट की सबसे चौंकानेवाली बात तो यह है कि 25% भारतीय किशोर डिप्रेशन का शिकार हो जाते है. जो हमारे शरीर के लिए एक बीमारी से कम नही है. इसका असर हमारे शरीर पर पढ़ता है.


डिप्रेशन के कारण व्यवहार में बदलाव आते है. डिप्रेशन से उबरने के लिए इसके लक्षणों और संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है. क्योंकि हम इस बारे में किसी से भी तभी मदद मांग सकते हैं, जब हमे उसके बारे में पता चल सकेगा.

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यह हैं डिप्रेशन के कुछ लक्षण जो लोगों में परिवर्तन लाता है. ठीक से नींद न आना, कम भूख लगना, अपराध बोध होना, हर समय उदास रहना, आत्मविश्वास में कमी, थकान महसूस होना और सुस्ती, उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता, मादक पदार्थों का सेवन करना, एकाग्रता में कमी, ख़ुदकुशी करने का ख़्याल और किसी काम में दिलचस्पी न लेना यह ऐसे लक्षण है जो आपके डिप्रेशन की वजह वन जाते है आईए हम आपको डिप्रेशन से दूर रहने के कुछ उपाय बताते है.

डिप्रेशन से बचने के उपाय
यदि आपको डिप्रेशन से बचना है तो इस बारे में खुलकर बात करना होगा. रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छोटे-छोटे बदलाव लाते हुए ख़ुद को व्यवस्थित कर लीजिए. ख़ुद को समय दें.

बात करें, मदद मांगें
डिप्रेशन से गुज़र रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और अपनी मुश्किल परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनकी मदद मांगें.

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सेहतमंद खाएं और रोज़ाना व्यायाम करें
सेहतमंद और संतुलित खानपान से मन ख़ुश रहता है. वहीं कई वैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि व्यायाम डिप्रेशन को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है. जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं. डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं. व्यायाम से हम न केवल सेहतमंद बनते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.


अपने अंदर के लेखक को दोबारा जगाएं
लिखने से अच्छा शायद ही कुछ और हो. इसके अलावा लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में मदद मिलती है. डायरी लिखने से भी लोग डिप्रेशन से बाहर आते हैं. इन दिनों ब्लॉग्स का भी ऑप्शन है. आप फ़ेसबुक पर भी अपने विचार साझा कर सकते हैं.


दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाएं
अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा बनाए रखते हैं. उनसे आपको आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है. वे आपकी बातों को ध्यान से सुनते हैं. डिप्रेशन के दौर में यदि कोई हमारे मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो हमें अच्छा लगता है. दोस्तों से जुड़ने के साथ-साथ आप उन लोगों से ख़ुद को दूर कर लें, जो नकारात्मकता से भरे होते हैं. ऐसे लोग हमेशा दूसरों का मनोबल गिराने का काम करते हैं.

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नौकरी की करें समीक्षा
इन दिनों कार्यस्थलों पर कर्मचारियों को ख़ुश रखने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, पर कई जगहों पर वास्तविकता इससे अलग होती है. यदि आप भी कार्यस्थल पर स्ट्रेस्ड महसूस करते हैं तो अपनी नौकरी की समीक्षा करें. ऐसा करने से अगर स्ट्रेस्ड खत्म हो सकता है तो क्या पता नौकरी ही आपकी चिंता की वजह हो, जो आगे चलकर आपके डिप्रेशन का कारण बन जाए. ऐसी नौकरी को छोड़ दें, ताकि सुकून से जी सकें.


नियमित रूप से छुट्टियां लें
एक ही ऑफ़िस, शहर और दिन भर का वहीं कार्य भी कई बार बोरियत पैदा करने वाला कारण बन जाता है, जो आगे नकारात्मक विचार और फिर डिप्रेशन पैदा करते हैं. माहौल बदलते रहने से नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद मिलती है. यदि लंबी छुट्टी न मिल रही हो तो सप्ताहांत पर ही कहीं निकल लें. नियमित रूप से छुट्टी पर जाने वाले लोग, लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने लोगों की तुलना में बहुत कम डिप्रेशन में होते है

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नींदभर सोएं

एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है. अध्ययनों से पता चला है कि रोज़ाना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में डिप्रेशन के लक्षण कम होते है. इसलिए अपनी नींद से समझौता न करें.


हल्का-फुल्का म्यूज़िक सुनें
जब लोग डिप्रेशन में होते हैं तो आप संगीत सुन सकते है जिससे आप खुश रह सकते है और यह तथ्य कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हो चुका है. तो जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें. संगीत सुनकर अपना मूड बदले, इसमें मन से डिप्रेशन को निकालने की अद्‍भुत ताक़त होती है. वैसे आप एक चीज़ का ख़्याल रखें, ज़रूरत से ज़्यादा ग़म में डूबे हुए गाने न सुनें.

पुरानी बातों के बारे में न सोचें
अपनी पुरानी भूलों और ग़लतियों का शिकवा करना आपको पूरी तरह से डिप्रेशन के चंगुल में फंसा सकता है. एक तो पुरानी बातें आपके नियंत्रण में नहीं होतीं. फिर उस बारे में सोचकर लोग डिप्रेशन में चले जाते है और बेवजह अपने दिलोदिमाग पर बोझ बढाते है. पुरानी बातों की बजाय आज पर फोकस करे.


ख़ुद को लोगों से दूर न करें
जब आप डिप्रेशन में है तो ख़ुद को लोगों से दूर न करे जब कोई भी डिप्रेशन में होता है तो वह अपने आप को दुनिया से दूर कर लेना सबसे आसान और ज़रूरी मान लेता है क्योंकि आपको लगता है कि आपकी समस्या को कोई दूसरा नहीं समझ सकता. लेकिन ख़ुद को लोगों से काटकर आप डिप्रेशन को फलने-फूलने का मौक़ा उपलब्ध कराते हैं. यदि आप अपने दोस्तों और क़रीबियों से अपनी समस्या साझा नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें.

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आशा करते है कि आप सभी को इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा. आप लोग ऐसे ही प्रश्न पूछते रहिए हम उन प्रश्नों के उत्तर आपको खोजकर देंगे. आप कमेंट बॉक्स में अपनी राय और कमेंट करके अपने प्रश्नों को पूछ सकते है. इस सवाल को पूछने के लिए आपका धन्यवाद