क्यों डिप्रेशन के दौरान आत्महत्या का विचार आता है ?

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क्यों डिप्रेशन के दौरान आत्महत्या का विचार आता है

भारत में डिप्रेशन को गंभीरता से नहीं लिया जाता है और इससे अक्सर पागलपन से जोड़ा जाता है। डिप्रेशन एक तरह कि मानसिक से संबंधित बीमारी है। इसका काफी ही विकराल रूप होता है और आगे चलकर यह काफी गंभीर रोग में तब्दील हो जाता है।

आत्महत्या का विचार

इसमें व्यक्ति को काफी अकेलेपन महसूस होता है। उसके मन में कई तरह के नकारात्मक ख्याल आते है। कई बार व्यक्ति अपने आप को संभल नहीं पता और परिस्थितियों के समक्ष खुद को काफी बेबस समझता है और अपनी जिंदगी खत्म करने के बारे में उसको ख्याल आने लगते है। डिप्रेशन से बीमार व्यक्ति को सामान्य जिंदगी जीने में कठिनाई होती है।

मानसिक रोग

डिप्रेशन को खतरनाक रूप लेने में वक़्त नहीं लगता यहाँ तक ही डिप्रेशन से ग्रसित लोग खुद को शारीरिक रूप से भी कष्ट पहुंचते है। सामान्य तोर पर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते है। लेकिन डिप्रेशन का हर मरीज अपने आप को किसी स्थिति में फंसा हुआ और अकेला महसूस करता है। अगर इसके लक्षण की बात करे तो डिप्रेशन के दौरान लोगो में कई तरह के बदलाव आने लगते है।

जैसे हर समय बेचैनी और असहाय महसूस करना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, मूड डिसऑर्डर, ठीक से नींद ना आना, मन में नकारात्मक विचार आना, उदास रहना, किसी भी काम में मन ना लगना, जरूरत से ज्यादा थकावट, यौन इच्छाओं में कमी और पूरे समय सिर दर्द अमुलान डिप्रेशन के लक्षण होते है।

अगर किसी को अत्यधिक तनाव है और वो लगतार खुद को दुसरो से compare करे और खुद को छोटा या किसी काम का नहीं समझे तो व्यक्ति में आत्महत्या जैसे विचार आने लगते हैं।

नकारात्मक विचार

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कुछ लोग जो खुद को संभल लेते है और यह कदम नहीं उठाते लेकिन वही दूसरी और जब व्यक्ति काफी असहाय महसूस करता है और खुद को संभल नहीं पता तो ऐसा कड़ा कदम उठता है और वो अपनी जान ले लेते हैं।

डिप्रेशन का सामना करने वाले लोगो का इलाज है की वो मनोचिकित्सक से कंसल्ट करे। दवाई ले और ज्यादा से ज्यादा लोगो से मिले बात करे उनके साथ आपने इशू को शेयर करे अकेले न रहे।