राजस्थान में बौद्ध धर्म कहां तक फैला हुआ है और इसका इतिहास ?

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राजस्थान बौद्ध धर्म
राजस्थान बौद्ध धर्म

राजस्थान में बौद्ध धर्म कहां तक फैला हुआ है और इसका इतिहास ? ( How far is Buddhism spread in Rajasthan and its history )

बौद्ध धर्म भारत का बहुत प्राचीन धर्म है. जिसका जन्म भारत में हुआ. यह धर्म ना सिर्फ भारत बल्कि एशिया महाद्वीप के अनेंक देशों में भी फैला. प्राचीन काल में अनेंक शासको ने इस धर्म को संरक्षण प्रदान किया. बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध थे. राजस्थान में भी यह धर्म बहुत फैला तथा यहां पर भी इस धर्म से संबंधित कई महत्वपूर्ण केंद्र पाए जाते हैं. विहार – बौद्ध भिक्षुओं का रहने का स्थान होता था तथा चैत्य बौद्ध मंदिर होता है. राजस्थान के विराटनगर से प्राचीन बौद्ध विहार तथा झालवाड़ से प्राचीन बौद्ध गुहाओं के साक्ष्य मिलते हैं.  राजस्थान के संदर्भ में बौद्ध धर्म के इतिहास के बारे में जानते हैं.

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महात्मा बुद्ध

झालवाड़-

राजस्थान का झालवाड़ बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यह राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी कोने पर मालवा पठार के किनारे पर स्थित है. इस क्षेत्र से हमें कोलवी की बौद्ध गुहाएं, गुनाई की बौद्ध गुहाएं ,हाथियागौड़ की बौद्ध गुहाएं , बिनायगा की बौद्ध गुहाएं  मिलती हैं. जिनसे पता चलता है कि झालवाड़ का बौद्ध धर्म के लिए विशेष महत्व है तथा अतीत में यह बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है.

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महात्मा बुद्ध

अलवर में बैराठ –

बैराठ को भी बौद्ध धर्म के प्रमुख केंद्रों में से एक माना जाता है. प्राचीन काल में यह स्थल बौद्धों का निवास स्थल रहा है. यहां पर मिले अवशेषों से पता चलता है कि यह क्षेत्र बौद्ध साधना से संबंधित क्षेत्र रहा है. जयपुर से 52 मील की दूरी पर स्थित बैराठ में एक गोलाकार मंदिर, मठ और अशोक के युग के स्तंभों के अवशेष मौजूद हैं. प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी इस जगह की यात्रा कर यात्रा वृत्तांत में इसका उल्लेख किया था.

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अलवर में बैराठ, झालावाड़ में कोल्वी, दौसा में भांडारेज में कई बौद्ध मठ या परिसर स्तूप अवशेष मौजूद हैं, जो बताते हैं कि राजस्थान भी बौद्ध साधना का प्रमुख केंद्र रहा है. ऐसा माना जाता है कि राजस्थान में बनी ये बौद्ध संरचनाएं 300 से 900 ईस्वी के बीच बनाई गई हैं. बौद्ध धर्म की 4 प्रमुख शाखाएं हैं, जिनमें महायान , हीनयान , थेरवाद तथा व्रजयान प्रमुख हैं. भारत में बौद्ध धर्म का उदय ब्रहामण धर्म में फैली बुराईयों की वजह से हुआ था. लेकिन दुर्भाग्य से बौद्ध धर्म में भी ये बुराईयां आने लगी तथा जो इस धर्म के पतन के प्रमुख कारणों में से एक हैं.

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