G7 का सदस्य बनने से भारत को क्या लाभ पहुंचेगा?

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जी-7 के अंतर्गत दुनिया के 7 सबसे विकसित देश शामिल है। इसी के साथ जिन देश की समृद्ध अर्थवयवस्था है वो इसके अंतर्गत आते है।जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं और यह ग्रुप ऑफ़ सेवन के तोर पर दुनियाभर में प्रख्यात है। यह ग्रुप “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय का गठन करता है। स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत के तोर पर विख्यात है। जी -7 का प्रमुख उद्देश्य आर्थिक मुद्दों पर विशेष ध्यान देने के साथ, वैश्विक समस्याओं के समाधान में मदद करने के लिए चर्चा करना और समूह ने वित्तीय संकट, मौद्रिक प्रणाली और प्रमुख विश्व संकट चर्चा की है।

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1973 के तेल संकट के मद्देनजर जी -7 की जड़ें फ्रांस, जर्मनी, यू.एस., ग्रेट ब्रिटेन और जापान (पांच के समूह) के वित्त मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक में रखी बदले में, फ्रांस के राष्ट्रपति वैलेरी गिसकार्ड डी-एजिंग ने उन देशों के नेताओं को आमंत्रित करने के लिए प्रेरित किया, साथ ही साथ, इटली में 1975 में वैश्विक तेल पर आगे की चर्चा के लिए रामबोइलेट को, इस बार देश के नेताओं के वित्त मंत्रियों, एक उपस्थिति रोस्टर में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। कनाडा वर्ष 1976 में और यूरोपीय संघ (European Union) वर्ष 1977 में इस समूह में शामिल हुआ।

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अब सवाल यह उठता है की अगर भारत इस समूह में शामिल होता है तो यह कदम भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा।भारत G-7 समूह का हिस्सा बनता है तो उसे वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान प्राप्त करने में मदद मिलेगी। भारत की इंटरनेशनल लेवल पर काफी मजबूत हो जाएगा।