21 दिन तक भारत लॉकडाउन होने से पर्यावरण प्रदूषण में कितना सुधार आएगा?
कोरोना वायरस के कहर की वजह से दुनिया भर में औद्योगिक गतिविधियां ठप्प हो गई हैं. भारत सहित कई देशों में लॉक डाउन (Lock-down) हो चुका है. इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचा है ,
पिछले कई दशकों से पृथ्वी पर हमारी रक्षा कर रही ओजोन परत को जो उद्योगों से नुकसान पहुंच रहा था उसमें कमी आने से इसकी हालत में सुधार आ रहा है. दुनिया भर में उद्योगों के बंद होने से वायुमंडल को नुकासन पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन बंद हो गया है.
वहीं दूसरी तरह सार्वजनिक और निजी यातायात लगभग बंद होने से पैट्रोल और डीजल के कारण वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी गैसें निकलना भी बहुत ही कम हो गई हैं. ऐसे में प्रदूषण का स्तर, खासतौर पर महानगरों में अभी से दिखाने भी लगा.
वैज्ञानिक इस मामले में अभी किसी जल्दबाजी में नहीं दिखना चाहते. उन्हें अंदेशा है कि जब औद्योगिक गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएंगी तब फिर से बड़े पैमाने पर कार्बन डाइ ऑक्साइड औरअन्य ओडीएस का उत्सर्जन शुरू होगा और फिर शायद पहले की स्थिति लौट न आए.
इस बंद से निर्माण कार्यों के ठप्प होने से भी हवा साफ होने लगी है. निर्माण कार्य भी वायुप्रदूषण में उल्लेखनीय योगदान देते हैं. इसके अलावा वाहनों के शोर ने ध्वनि प्रदूषण में प्रभावी कमी कर दी है.पर्यावरण को इस बंद की वजह से कितना फायदा हो रहा है इसका आंकलन अभी नहीं हो रहा है.
फिलहाल सभी का ध्यान दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के खतरे से बचाव पर है. दुनिया भर के शोधकर्ता इस संकट से निपटने के लिए इस पर जोरों से लगे हुए हैं, लेकिन दुनिया भर हो रही प्राकृतिक गतिविधियों पर वैज्ञानिकों की नजरें जरूर हैं.
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