किसी भी कम्पनी का इंश्योरेंस दुसरी कम्पनी में कैसे बदलें ?

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किसी भी कम्पनी का इंश्योरेंस दुसरी कम्पनी में कैसे बदलें How to change insurance of any company to another company
किसी भी कम्पनी का इंश्योरेंस दुसरी कम्पनी में कैसे बदलें How to change insurance of any company to another company

किसी भी कम्पनी का इंश्योरेंस दुसरी कम्पनी में कैसे बदलें ? ( How to change insurance of any company to another company ? )

वर्तमान समय में हमारे भविष्य के प्लान के तौर पर लोग आमतौर पर बीमा या इंश्योरेंस करते है. इंश्योरेंस के लिए अनेंक कंपनियों की अपनी अपनी पॉलिसी होती है. काफी बार किसी कंपनी से इंश्योरेंस करवाने के कुछ समय बाद हमें लगता है कि यह कंपनी हमें अच्छे सुविधा नहीं दे रही या फिर हमें अपना इंश्योरेंस किसी दूसरी कंपनी में कराना चाहिए था. इसी कारण काफी लोगों के मन में सवाल होते हैं कि क्या हम बीमा करवाने के बाद उसी दुसरी कंपनी में बदलवा सकते हैं ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में आपको आपके सवाल का जवाब मिल जाएगा.

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बीमा या इंश्योरेंस

बीमा कंपनी को कैसे बदलें ?

बीमा कंपनी बदलने की इस प्रक्रिया को पोर्टिंग कहा जाता है. इसके तहत आप अपनी पुरानी बीमा कंपनी के समय सीमा प्रावधानों के अतिरिक्त बीमा पॉलिसी का नो क्लेम बोनस भी ट्रांसफर करा सकते हैं. अगर आप पोर्टिंग कराना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सबसे पहले आवेदन करना होगा. इसके लिए एक शर्त भी होती है कि पुरानी पॉलिसी के खत्म होने से कम से कम 45 दिन पहले आपको आवेदन करना होगा. इसके लिए नई पॉलिसी का प्रपोजल फॉर्म और पोर्टेबिलिटी फॉर्म भरना होगा. जिसके अंदर जरूरी जानकारी देनी होगी.

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बीमा या इंश्योरेंस

आवश्यक दस्तावेज –

बीमा कंपनी को पोर्टिंग करने के लिए कुछ दस्तावेजों की भी आवश्यकता होती है. जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू करने से संबंधित नोटिस/पिछले साल का पॉलिसी शेड्यूल. इसके अलावा अगर आप NCB क्लेम करना चाहते हैं तो इसके लिए एक घोषणापत्र तथा अगर आपने कोई क्लेम किया था तो डिस्चार्ज समरी, जांच और फॉलो-अप.  इसके अलावा आपको अपनी रिपोर्ट पिछली मेडिकल हिस्ट्री, इलाज और रिपोर्ट की कॉपी भी आवेदन के साथ लगानी होती है.

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जब आप अपने सभी दस्तावेज जमा करा देते हैं. इसके बाद पुरानी बीमा कंपनी से वो जानकारी मिलाई जाती हैं. जब ये दस्तावेज सही पाए जाते हैं. उसके बाद नई बीमा कंपनी पोर्ट करने का आवेदन स्वीकार कर लेती है. इसके बाद ग्राहक को नई पॉलिसी का प्रस्ताव मिल जाता है.

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