India @75 : अपने दादा-दादी से कितने सेहतमंद हैं आप, अपनी यह हेल्थ रिपोर्ट देख लीजिए
Edited by नवीन कुमार पाण्डेय | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: Nov 23, 2021, 9:21 AM
India Health Report : भारत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह स्वास्थ्य के पैमानों पर पिछले 75 वर्ष की प्रगति का आकलन करने का भी मौका है।
नई दिल्ली
1947 में जब आजादी मिली तो हमारा देश की आय निम्न, प्रजनन दर उच्च, जीवन प्रत्याशा कम और बाल मृत्यु दर ज्यादा थी। लेकिन, वक्त के साथ-साथ हमने इन सभी मोर्चों पर प्रगति की है और देश में स्वास्थ्य के ये सभी संकेतक सुधर गए हैं। आज जब हम स्वतंत्र भारत के 75वें वर्ष में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं तब एक नजर उन मानकों पर भी डालें जिनसे पता चलता है कि आज की पीढ़ी अपने दादा-दादी के मुकाबले कितना स्वस्थ्य है। हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) के अतुल ठाकुर ने इसका बखूबी विश्लेषण किया है…
युवा देश में नागरिकों की मध्य आयु बढ़ी
मध्य आयु वह उम्र है जो देश की आबादी को दो भागों – युवा और बुजुर्ग में बांटता है। 1950 के दशक में भारत की मध्य आयु 20 वर्ष से नीचे थी जो अभी ज्यादातर अफ्रीकी देशों की है। वैसे तो मध्य आयु के लिहाज से भारत अब भी दुनिया में सबसे युवा देशों में शामिल है, लेकिन यह धीरे-धीरे 1950 के दशक वाले यूरोप की तरफ खिसक रहा है…
भारत की कुल आबादी की मध्य आयु
प्रजनन दर में कमी, आबादी की वृद्धि दर घटी
प्रति महिला बच्चों की संख्या के आधार पर प्रजनन दर तय होता है। भारात में कुल प्रजनन दर 1950 के दशक में 5.9 से घटकर अब 2.2 रह गई है। 1950 के दशक में जब भारत की प्रजनन दर 5.9 थी तब वह ब्रिटेन की 2.2 और अमेरिका की 3.3 थी। बहरहाल, भारत उन बड़े एशियाई देशों में शामिल है जहां सबसे कम प्रजनन दर है। इसलिए, कहा जा सकता है कि अब हमें ‘जनसंख्या विस्फोट’ का डर नहीं है।
जनसंख्या की सामान्य वार्षिक वृद्धि दर (प्रति 1000 लोग) 1950-55 से 2015-20 तक का सफर
लगभग दोगुनी हो गई जीवन प्रत्याशा
1950 से अब तक भारत में जीवन प्रत्याशा 37 वर्ष से बढ़कर 69 वर्ष हो गई है। फिर भी हम इस मामले में दक्षिण एशियाई देशों में सबसे पिछड़े हैं। वहीं बड़े एशियाई देशों में भी हमारी जीवन प्रत्याशा औसतन कम ही है। इसलिए, 37 से 69 वर्ष तक की यात्रा के बाद भी हमारे लिए सुधारों के सफर का रास्ता खुला है।
जन्म लेने पर जीवन प्रत्याशा (वर्ष में)
बाल मृत्यु दर में कितनी प्रगति?
भारत की मौजूदा बाल मृत्यु दर (IMR) उस स्तर पर है जो 1950 के दशक में विकसित देशों का था। हालांकि, श्रीलंका, मलेशिया और थाइलैंड इस मामले में अभी अमेरिका और इंग्लैंड के साथ कदम से कदम मिलाकर बढ़ रहे हैं।
बाल मृत्यु दर (जिंदा जन्मे प्रति 1,000 बच्चों की मृत्यु)
देश
1950-55
2015-20
पाकिस्तान
250
61
भारत
181
32
बांग्लादेश
211
27
फिलिपींस
85
20
वियतनाम
103
17
चीन
129
10
यूएस
30
6
यूके
28
4
Edited by नवीन कुमार पाण्डेय | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: Nov 23, 2021, 9:21 AM
India Health Report : भारत स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह स्वास्थ्य के पैमानों पर पिछले 75 वर्ष की प्रगति का आकलन करने का भी मौका है।
1947 में जब आजादी मिली तो हमारा देश की आय निम्न, प्रजनन दर उच्च, जीवन प्रत्याशा कम और बाल मृत्यु दर ज्यादा थी। लेकिन, वक्त के साथ-साथ हमने इन सभी मोर्चों पर प्रगति की है और देश में स्वास्थ्य के ये सभी संकेतक सुधर गए हैं। आज जब हम स्वतंत्र भारत के 75वें वर्ष में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं तब एक नजर उन मानकों पर भी डालें जिनसे पता चलता है कि आज की पीढ़ी अपने दादा-दादी के मुकाबले कितना स्वस्थ्य है। हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) के अतुल ठाकुर ने इसका बखूबी विश्लेषण किया है…
युवा देश में नागरिकों की मध्य आयु बढ़ी
मध्य आयु वह उम्र है जो देश की आबादी को दो भागों – युवा और बुजुर्ग में बांटता है। 1950 के दशक में भारत की मध्य आयु 20 वर्ष से नीचे थी जो अभी ज्यादातर अफ्रीकी देशों की है। वैसे तो मध्य आयु के लिहाज से भारत अब भी दुनिया में सबसे युवा देशों में शामिल है, लेकिन यह धीरे-धीरे 1950 के दशक वाले यूरोप की तरफ खिसक रहा है…
भारत की कुल आबादी की मध्य आयु
प्रजनन दर में कमी, आबादी की वृद्धि दर घटी
प्रति महिला बच्चों की संख्या के आधार पर प्रजनन दर तय होता है। भारात में कुल प्रजनन दर 1950 के दशक में 5.9 से घटकर अब 2.2 रह गई है। 1950 के दशक में जब भारत की प्रजनन दर 5.9 थी तब वह ब्रिटेन की 2.2 और अमेरिका की 3.3 थी। बहरहाल, भारत उन बड़े एशियाई देशों में शामिल है जहां सबसे कम प्रजनन दर है। इसलिए, कहा जा सकता है कि अब हमें ‘जनसंख्या विस्फोट’ का डर नहीं है।
जनसंख्या की सामान्य वार्षिक वृद्धि दर (प्रति 1000 लोग) 1950-55 से 2015-20 तक का सफर
लगभग दोगुनी हो गई जीवन प्रत्याशा
1950 से अब तक भारत में जीवन प्रत्याशा 37 वर्ष से बढ़कर 69 वर्ष हो गई है। फिर भी हम इस मामले में दक्षिण एशियाई देशों में सबसे पिछड़े हैं। वहीं बड़े एशियाई देशों में भी हमारी जीवन प्रत्याशा औसतन कम ही है। इसलिए, 37 से 69 वर्ष तक की यात्रा के बाद भी हमारे लिए सुधारों के सफर का रास्ता खुला है।
जन्म लेने पर जीवन प्रत्याशा (वर्ष में)
बाल मृत्यु दर में कितनी प्रगति?
भारत की मौजूदा बाल मृत्यु दर (IMR) उस स्तर पर है जो 1950 के दशक में विकसित देशों का था। हालांकि, श्रीलंका, मलेशिया और थाइलैंड इस मामले में अभी अमेरिका और इंग्लैंड के साथ कदम से कदम मिलाकर बढ़ रहे हैं।
बाल मृत्यु दर (जिंदा जन्मे प्रति 1,000 बच्चों की मृत्यु) | ||
देश | 1950-55 | 2015-20 |
पाकिस्तान | 250 | 61 |
भारत | 181 | 32 |
बांग्लादेश | 211 | 27 |
फिलिपींस | 85 | 20 |
वियतनाम | 103 | 17 |
चीन | 129 | 10 |
यूएस | 30 | 6 |
यूके | 28 | 4 |