सामूहिक आंदोलन पर उतरे भारतीय किसान, पहली बार जम्मू-कश्मीर से भी मिला समर्थन

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राष्ट्रीय किसान महासंघ के ऐलान पर देशभर के किसान आंदोलन के लिए आगे आये हैं. संगठन ने आज दिल्ली घेराव का ऐलान किया था, लेकिन इसके ठीक पहले ही किसान नेता और उनके समर्थकों को देश के अलग-अलग हिस्सों से हिरासत में ले लिया गया. किसानों के आंदोलन को जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ कई राज्यों से समर्थन मिल रहा है.

बता दें कि राष्ट्रीय किसान महासंघ के साथ देशभर के 65 किसान संगठन आंदोलन पर उतर आये हैं. संगठन की तरफ से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के किसान ट्रैक्टर ट्रालियों से दिल्ली का घेराव करने वाले थे, लेकिन उन्हें दिल्ली पहुंचने के पहले ही रोक दिया गया.

उधर, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु के किसानों ने अपने-अपने राज्यों में प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के कारण कई जगह पर जाम की स्थिति भी बनी.

Jammu Kashmir -

कश्मीर से पहली बार समर्थन…

वहीं, किसानों के इस आंदोलन को पहली बार घाटी से भी समर्थन मिला. जम्मू कश्मीर के ज़मींदार बचाव फोरम के किसान सदस्यों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया है. इस बारे में फोरम के सदस्य हामिद मलिक ने बताया कि, “1990 से जम्मू कश्मीर का किसान अलगाववादी आंदोलनों के कारण पिछड़ता रहा है. किसानों से जुड़े ज़रूरी मुद्दे अब तक नहीं उठे. देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले जम्मू कश्मीर में खेती अलग होती है. यहां मांगे अलग हैं, जो सरकार के सामने रखना बेहद ज़रूरी है.”

ज़मींदार बचाव फोरम के सदस्य हामिद मलिक ने आगे बताया कि जम्मू कश्मीर के किसान कर्ज माफी, एमएसपी के अलावा सेब, अखरोट, जाफरान जैसी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि यह तीनों फसलें जम्मू कश्मीर में सबसे ज़्यादा होती हैं. इसके अलावा जम्मू कश्मीर में सरकारी मंडियां खोलने की भी मांग हो रही है.

राजस्थान में दिया गया बयान

वहीं राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद किसानों को महापड़ाव की अनुमति नहीं थी. किसान के आन्दोलन को दबाया गया था लेकिन उसके बावुजूद भी किसानों ने आन्दोलन किया. जिसके तहत 179 लोगों को न्यायिक हिरासत में लिया गया है. इनमें से 17 को जमानत दी गई है.