गोभी सेहत के लिए फायदेमंद या नुकसानदायक है
भारत में टेपवर्म को लेकर खतरे की घंटी करीब 20-25 साल पहले बजनी शुरू हुई, जब देश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ मरीज सिर में तेज दर्द की शिकायत के साथ हॉस्पिटल पहुंचे। ऐसे कई मामलों में मरीज को मिर्गी की तरह दौरे भी पड़ रहे थे। इनमें से बहुतेरे रोगी बच नहीं पाए, क्योंकि रोगियों के दिमाग में ये काफी संख्या में पहुंच चुके थे। कुछेक रोगियों, जिनकी जान बच गयी, ने बाद में पत्ता गोभी खाना बिल्कुल ही बंद कर दिया था।
जिन लोगों को ऐसे मामलों का पता चला, उन्होंने भी पत्ता गोभी से दूरी बनाने में ही भलाई समझी। रेस्तरां और स्ट्रीट फूड की दुकानों में बर्गर और चाऊमीन जैसी प्रचलित खाने-पीने की चीजों से लोग मुंह मोड़ने लगे। ऐसे में कुछ दुकानदारों ने पत्ता गोभी के बजाय लेट्यूस लीव्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया,
जो देखने में पत्ता गोभी जैसी होती है, लेकिन उसमें टेपवर्म का खतरा नहीं होता। टेपवर्म के डर से पत्ता गोभी जैसी पोषक सब्जी से दूरी बनाना लोगों की मजबूरी हो गई और लोगों में धारणा बन गई कि इसे खाना हानिकारक हो सकता है। एशियाई देशों की तुलना में यूरोपीय देशों में इसका खतरा काफी कम देखा
हमारे घरों में पत्ता गोभी कभी सब्जी के रूप में, तो कभी कच्चे सलाद के रूप में बहुत खाई जाती है। पत्ता गोभी के जरिये टेपवर्म हमारे शरीर में दो तरह से पहुंचता है। बेहद सूक्ष्म होने की वजह से यह हमें दिखाई नहीं देता और बेहद अच्छी तरह से धोने पर भी यह कई बार पत्ता गोभी पर चिपका रह जाता है।
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यह कीड़ा आमतौर पर जानवरों के मल में पाया जाता है, जो कई अलग-अलग कारणों से पानी के साथ जमीन में पहुंच जाता है। बारिश के पानी या गंदे पानी के रूप में इसके जमीन में पहुंचने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है। यही वजह है कि कच्ची सब्जियों के माध्यम से हमारे शरीर में इस कीड़े के पहुंचने की सबसे ज्यादा आशंका रहती है।
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साभार – Live Hindustan