क्या भारत महिलाओं के लिए असुरक्षित देश है?

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भारत पुरी दुनिया में अपनी विविधताओं के लिए जाना जाने वाला मुल्क है। अपने धर्म से लेकर अपने खाने पीने के तौर तरीकें, रीति रिवाज में भारत पुरी दुनिया में अपनी एक अल़ग पहचान बना चुका है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भी भारत में रहती है। भारत की पुरी जनसंख्या में 48.5 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है। जिसमें से 48.1 प्रतिशत महिलाओं की आबादी शहरों में रहती है, जबकि 48.6 प्रतिशत महिलाएं ग्रामीण भारत में रहती है। ऐसे में यह जानना किसी के लिए भी जरुरी हो सकती है की इतनी बड़ी आबादी में आख़िर महिलाएं भारत में किस स्थान पर आती, कैसे हालातों में वे अपनी ज़िंदगी जीती हैं।

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हमेशा से ही दबाई गई है महिलाओं की आवाज़

भारत के इतिहास के पन्नों में जहां महिलाओं के गुणगान के बारे में जिक्र होगा वहीं दुसरी तरफ़ इन्हीं इतिहास के पन्नों में महिलाओं की काली ज़िंदगी के बारे में भी लिखा होगा। इतिहास में भारतीय महिलाओं का शोषण बहुत हुआ है, चाहें वह शारीरिक हो या फिर मानसिक हो। हमारे लिखे हुए ग्रंथों में महिलाओं के बारे में तो अच्छी बातें लिखी हुई है लेकिन ये बाते समाज में ज्यादा अमल में नहीं आई है।

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ग्रामीण भारत में आज भी महिलाओं को समाज और परिवार में पुरुष जैसे दर्ज के लिए लड़ना पड़ता है

शायद आज का नया भारत तरक्की की पटरी पर सवार हो, शहर से लेकर गांव तक महिलाएं अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है। लेकिन ग्रामीण भारत में महिलाएं आज भी अपने हक के लिए लडती हुई दिखती है। आज भी महिलाओं को परिवार में पुरुष जितना दर्जा नहीं दिया जाता है। आज भी महिलाएँ घर में दहेज प्रथा की शिकार होती है।  हालांकि समाजिक क्रायक्रमों के जरिए गांव में लोगों को महिलाओं के प्रति जागरुक किया जा रहा है।

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शहर में महिलाएं आर्थिक तौर पर तो मजबूत हुई है, लेकिन समाज और कार्यस्थल पर पुरुष जितना हक नहीं पा पाई है

कहते है शहर की जिंदगी में आप आर्थिक तौर पर मजबूत हो जाते है। शहर में आप को नौकरी करने के अवर प्राप्त होते है, आप अपने दम से कई पदों पर पुहंच भी जाते है। लेकिन कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल पर आज भी आर्थिक तौर पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। दुसरी तरफ़ महिलाओं को कार्यस्थल पर कई बार शारीरिक शोषण का भी सामना करना पड़ता है। पिछले कुछ वक्त से कहा जा रहा है की पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा आर्थिक ताकत नहीं मिल पाती है।

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यौन अपराध आज भी कायम है

महिलाओं का शारीरिक शोषण केवल गुजरे हुए भारत की ही बात नहीं है, बल्कि ये आज के आधुनिक भारत का भी काला सच है। महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन अपराधों में किसी तरह की कमी नहीं आ रही है। आज भी बलात्कार चार दिवारी के अंदर से लेकर चार दिवारी के बाहर भी हो रहे है। इसमें लोगों की सोच में कोई बदलाव नहीं आ रहा है। उदाहरण के लिए 16 दिसंबर गैंग रेप, एक 23 साल की छात्रा को चलती बस में छह लड़को नें रेप किया और बाद में उस लड़की की अस्पताल में मौत हो गई थी।

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महिलाओं नें अपनी आवाज़ भी बुलंद की है

इसी दौर में महिलाओं नें मीडिया, इंटरनेट, राजनीति के जरिए अपनी आवाज़ भी उठाई है। आज के समाज में बदलाव की जो जगह दिख रही है उसमें आज के दौर की महिलाएं अपनी आवाज़ बुलंद कर रही है। खेल से लेकर सिनेमा, नौकरी से लेकर राजनीति तक महिलाएं अपना परचम लहरा रही है। बदलाव की ये रफ्तार शहर में बहुत तेज है लेकिन ग्रामीण भारत में आज भी महिलाओं को घुटन के अंधेरे को ख़त्म करने के लिए एक नए सवेरे का इंतजार है।