ऐसा कौन -सा मंदिर है जहां इंसानो की बलि दी जाती थी?

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भारत के मंदिर विश्वभर में प्रख्यात है। इन मंदिरों से जोड़ी बहुत सी कथाएं मशहूर है। मंदिरों में जानवरों जैसे बकरी की बलि के बारे में तो अपने कई बार सुन्ना होगा लेकिन क्या आप जानते है एक ऐसा भी मंदिर है जहां इनसानों की बलि दी जाती थी। प्राचीन समय में उज्जैन में हर दिन भगवान को इनसानों की बलि दी जाती थी। यह इस मंदिर भूखी माता का मंदिर के तौर पर विख्यात है। यह प्रथा काफी ही प्राचीन थी। आपको बताना चाहेंगे की इस मंदिर की यह प्राचीन कथा सम्राट विक्रमादित्य के राजा बनने से जुड़ी है।

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इस मंदिर को लेकर मान्यता काफी प्रसिद्ध है की है कि यहां पर प्रतिदिन एक व्यक्ति की बलि चढ़ाई जाती थी। जिस भी लड़के को अवंतिका नगरी का राजा बनाया जाता था, भूखी माता उसे खा जाती थी। एक बार एक दुखी मां को रोते देख राजा विक्रमादित्य ने उसके पुत्र की सुरक्षा का वचन दिया। विक्रमादित्य ने कहा कि उसके बेटे की जगह वे स्वयं भूखी माता का भोग बन जाएंगे। राजा बनते ही विक्रमादित्य ने पूरे शहर को स्वादिष्ट व खुशबू वाले व्यंजनों से सजाने का आदेश दिया। जगह-जगह छप्पन भोग सजाए गए। भूखी माता की भूख विक्रमादित्य को अपना आहार बनाने से पहले ही खत्म हो गई। साथ ही उन्होंने विक्रमादित्य को प्रजा पालक चक्रवर्ती सम्राट होने का आशीर्वाद प्रदान किया। इस प्रकार इंसानो की इस बलि की समाप्ति हुई।

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आपको बताना चाहेंगे की भूखी माता का मंदिर अति प्राचीन है। देवी की मूर्ति भी चमत्कारी होकर भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती है। हर वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पूर्णिमा के बीच भूखी माता को गुड़ से बने भजिए अर्पित किया जाता है। जो माता को अत्यंत ही प्रिय है। अगर कोई सच्चे मन से भूखी माता की आराधना -उपासना करे तो माता उनकी मनोकामना पूर्ण करती है।