ये इंडिया है, यहाँ पति रेप नहीं करते है!

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ये इंडिया है, यहाँ पति रेप नहीं करते है!
ये इंडिया है, यहाँ पति रेप नहीं करते है!

ये इंडिया है, यहाँ पति रेप नहीं करता है! जी हाँ, केंद्र सरकार का कहना है कि भारत में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जा सकता है, इसके लिये केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलें का हवाला दिया। हाँ क्यों नहीं, सरकार का फैसला का ही अंतिम फैसला जो होता है, फिर चाहे कोई लाख कोशिशें ही क्यों न कर लें। चलिये, एक बार को मान भी लेते है कि यहाँ पति रेप नहीं करते है, लेकिन जिन महिलाओं के साथ उनके पति जबरदस्ती संबंध बनाते है, उनका क्या? इतना ही नहीं, कई केस तो ऐसे देखने को मिलते है, जिसमें पति, पत्नी के साथ मारपीट करता है, फिर संबंध बनाता है! ऐसे केसों के लिये आपका क्या कहना है? अब आप कहेंगे कि यह तो पुराणी धारणा हो चुकी है, आजकल महिलाओं के साथ ऐसा अत्याचार नहीं होता है। लेकिन साहेब, जरा जमीनी स्तर पर जाकर देखिये दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। आज भी हमारे देश में अधिकांश पति द्वारा महिला के साथ जबरदस्ती संबंध बनायें जाते है!

एक नजर में खबर..

खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि वैवाहिक बलात्कार को दंडनीय अपराध नहीं माना जा सकता है, क्योंकि ऐसा करना विवाह की संस्था के लिए खतरनाक साबित होगा। साथ ही केंद्र ने यह भी कहा कि यह पतियों को प्रताड़ित करने का जरिया बन सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि केंद्र ने ऐसा क्यों कहा? दरअसल, दिल्ली की वकील मोनिका अरोड़ा ने मैरिटल रेप को अपराध करार देने की मांग के लिए हलफनामा दायर किया था। जिसके जवाब में केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और आईपीसी की धारा 498ए के तहत विवाहित महिला को उसके पति और ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित करने के बढ़ते दुरूपयोग पर टिप्पणी कर चुका हैं।

जानियें, केंद्र ने और क्या कहा..

आपको बता दें कि केंद्र ने कहा कि भारत में वैवाहिक बलात्कार का अपराधीकरण इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि भारत में अलग तरह की परेशानियां है। इसके अलावा केंद्र ने इसकी परेशानियों पर भी जिक्र करते हुए कहा कि इसमें साक्षरता, बड़ी तादाद में महिलाओं के वित्तीय सशक्तीकरण की कमी, समाज की मानसिकता और गरीबी जैसी विभिन्न समस्याएं शामिल हैं।

विदेशों से न करें तुलना…

आपको बता दें कि सरकार ने ये भी कहा है कि भारत इस मामले में आंख बंद कर पश्चिमी राष्ट्रों को फॉलो न करें। सरकार ने यह भी कहा कि यह इंडिया है, यहाँ पति रेप नहीं करते है।

क्यों दे रही है सरकार ये जबाव…

आपको बता दें कि सरकार आईपीसी की धारा 375 दुष्कर्म को असंवैधानिक घोषित करने के लिए विभिन्न याचिकाओं की मांग पर जवाब दे रही थी। जी हाँ, केंद्र सरकार ने कहा कि अगर पति-पत्नी के यौन संबंधों को वैवाहिक दुष्कर्म की तरह माना जाने लगेगा, तो वैवाहिक दुष्कर्म का फैसला पत्नी के बयान पर निर्भर होगा। साथ ही ऐसे हालात में अदालत किन सबूतों को आधार बनाएगी, क्योंकि पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का कोई अंतिम सबूत नहीं हो सकता। साथ ही केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि ‘वैवाहिक दुष्कर्म’ को अपराध घोषित करने से विवाह संस्था ढह सकती है।

वकील की दलीलें..

दिल्ली की एक वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि विवाह को ऐसे नहीं देखा जा सकता कि यह पतियों को जबरन संबंध बनाने का अधिकार देता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एक विवाहित महिला को अविवाहित महिला की तरह ही अपने शरीर पर पूरे नियंत्रण का समान अधिकार है। साथ ही मामले की सुनवाई आगे भी जारी होगी।

बहरहाल, मामलें में अगला फैसला क्या होगा, यह तो खैर वक्त ही बताएगा।