जामिया हिंसा: 10 लोग गिफ्तार, स्टूडेंट और पुलिस नहीं थे शामिल

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जामिया हिंसा
जामिया हिंसा: 10 लोग गिफ्तार, स्टूडेंट और पुलिस नहीं थे शामिल

जामिया में रविवार को हुए हिंसा प्रर्दशन के मामले में दिल्ली पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हैरान कर देने वाली एक बात यह है कि इसमें से एक भी जामिया युनिवर्सिटी का एक भी छात्र इसमें शामिल नहीं है. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें से तीन लोग घोषित बदमाश है. यह सभी लोग जामिया और ओखला इलाके के रहने वाले है.

इन लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस ने यह भी कहा है कि इसका यह मतलब नहीं है कि छात्रों को क्लीन चिट दे दी गई है. वहीं दूसरी ओर दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में पुलिस कार्रवाई और विवादास्पद नागरिकता कानून के खिलाफ सोमवार को देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए गए है जिसका समर्थन नेता और सामज के कार्यकर्ता भी करते नजर आए है.

बता दें कि कहीं पर यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहें है, तो कहीं पर इसने हिंसक रूप ले लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन प्रदर्शनों को दुखद एवं निराशाजनक बताया और शांति की अपील की. जामिया के छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई और नागरिकता कानून के खिलाफ गुस्से का असर उत्तर प्रदेश से लेकर केरल और महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक में देखा गया.

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जामिया के छात्रों पर पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष एकजुट हो गया. कांग्रेस के अलावा चार अन्य राजनीतिक दल के नेताओं ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर जामिया परिसर में रविवार शाम की घटनाओं की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की.

वहीं कांग्रस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि केंद्र सरकार एक ऐसा कानून लाकर देश में हिंसा के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है जिसका देशभर में विरोध किया जा रहा है और सभी विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. अगर सरकार यह कानून नहीं लाती तो कोई हिंसा नहीं होती.’ पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में कांग्रेस ने इंडिया गेट पर शाम चार बजे से शाम छह बजे तक मूक प्रदर्शन भी किया.

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प्रियंका ने कहा, ‘‘छात्रों पर हमला भारत की आत्मा पर वार है.” वहीं उनकी मां और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी ने एक बयान जारी कर भाजपा पर देश में अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बयान में आरोप लगाया है. ‘भाजपा हिंसा और बंटवारे की जननी है.’ छात्र प्रदर्शनकारियों ने जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति के बिना पुलिस के परिसर में घुसने के साथ जामिया के पुस्तकालय में आंसू गैस का इस्तेमाल करने की जांच कराने की भी मांग की. फिलहाल इस मामले को लेकर छात्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है.