स्वछता के मामले में जोधपुर रेलवे स्टेशन अव्वल, जानिए कौन सा है सबसे गंदा स्टेशन

439

तीसरे स्वछता सर्वेक्षण के नतीजे रेल मंत्रालय द्वारा घोषित कर दिए गए है. इस सूचि में बड़े उलट फेर सामने आये है. दरअसल रेलवे हर साल तीसरे पक्ष की मदद से रेलवे स्टेशन की साफ़ सफाई और रख रखाव पर सर्वे करता है जिसके नतीजे घोषित किये गए.

पीएम मोदी की लोकसभा सीट बनारस फिसलकर पंहुचा 69वे स्थान पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी का स्टेशन इस सर्वेक्षण में फिसलकर 69वें स्थान पर आ गया. वाराणसी रेलवे स्टेशन देश के सबसे व्यस्त 75 स्टेशनों में इस साल 69वें स्थान पर पहुंच गया. गौरतलब है की यह स्टेशन स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछले साल 2017 में 14वें स्थान पर था.

imgpsh fullsize 54 -

 

रेलमंत्री पियूष गोयल ने जारी की स्वछता रिपोर्ट

सोमवार को स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट को जारी करते हुए रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “जोधपुर ए-1 स्टेशन श्रेणी के तहत सबसे स्वच्छ स्टेशन के रूप में सामने आया है. बीते साल विशाखापट्नम पहले स्थान पर था.” उन्होंने कहा कि राजस्थान की राजधानी जयपुर का स्टेशन दूसरे नंबर पर है और आंध्र प्रदेश का तिरुपति स्टेशन तीसरे स्थान पर है. पिछले सर्वेक्षण में जोधपुर 17वें स्थान पर, जबकि जयपुर व तिरुपति क्रमश: 18वें व 19वें स्थान पर थे.

imgpsh fullsize 52 -

मथुरा घोषित किया गया सबसे गंदा रेलवे स्टेशन

मथुरा रेलवे स्टेशन ए-1 स्टेशन श्रेणी में सबसे गंदा स्टेशन घोषित किया गया. दरभंगा स्टेशन इस साल 52वें स्थान पर रहा. इस स्टेशन को 2017 में सबसे गंदा स्टेशन घोषित किया गया था. ए-1 श्रेणी के स्टेशनों में दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन ने अपना पांचवां स्थान बनाए रखा, जबकि निजामुद्दीन व पुरानी दिल्ली स्टेशन क्रमश: 54वें व 60वें स्थान पर रहे. बीते साल पुरानी दिल्ली व हजरत निजामुद्दीन क्रमश: 23वें व 24वें स्थान पर थे.

imgpsh fullsize 53 -

इन मानको के आधार पर तय होती है स्टेशन की स्वछता

रेलवे स्टेशनों की स्वच्छता का आंकलन करने के लिए साफ शौचालय, स्वच्छ पटरियां व डस्टबिन जैसे कुछ मानक तय किए गए थे. रेलवे ने स्वच्छता के आंकलन के लिए तीसरे पक्ष से एक सर्वेक्षण कराया था. यह सर्वेक्षण भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) ने किया, जिसके तहत 407 स्टेशनों को शामिल किया गया. इसमें 75 ए-1श्रेणी में और 332 ए श्रेणी में शामिल हैं. पहला सर्वेक्षण आईआरसीटीसी ने 2016 में किया था, दूसरा क्यूसीआई ने किया था.

इसके साथ रेलवे बड़े स्तर पर प्लास्टिक की बोतले नष्ट करने वाली मशीन लगाने जा रहा है. बताया जा रहा है की करीब 2000 मशीने लगाई जायेंगी.