82 वर्ष की आयु में कांची शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का चेन्नई में निधन

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कांची मठ के 69वें प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को तमिलनाडु के कांचीपुरम में देहावसान हो गया. कांची कोमकोटि पीठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती स्वामिगल 82 वर्ष के थे. जयेंद्र सरस्वती काफी लंबे समय से बीमार थे. उन्हें सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. पिछले साल से ही उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था.

उपलब्धियों का सफ़र

कई स्कूलों, नेत्र चिकित्सालयों तथा अस्पतालों का संचालन करने वाले कांची कामकोटि पीठ की स्थापना पांचवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी, तथा जयेंद्र सरस्वती इसी के मौजूदा प्रमुख थे. उन्हें 22 मार्च, 1954 को श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल का उत्तराधिकारी घोषित कर श्री जयेंद्र सरस्वती की उपाधि दी गई थी. उस वक्त वो सिर्फ 19 साल के थे. उनका जन्म 18 जुलाई 1935 में तमिलनाडु में हुआ था. काँची कामकोटी पीठ के 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का इस पद पर आसीन होने से पहले का नाम सुब्रमण्यम था. साल 1983 में उन्होंने शंकर विजयेन्द्र सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वहां एक भव्य समारोह में भाग लिया और अपने संबोधन में अयोध्या मसले के समाधान के लिए शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की सराहना की थी.

बता दें कि कांची मठ कांचीपुरम में स्थापित एक हिन्दू मठ है. यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है. यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं. कांची मठ के द्वारा कई सारे स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाए जाते हैं. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए थे.

विवादों का दामन

शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को कांचीपुरम शंकररमन हत्‍याकांड मामले में भी गिरफ्तार किया था, हालांकि नौ साल बाद उन्हें तथा अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया गया था. 2004 में हुई कांचीपुरम मंदिर के मैनेजर की हत्या के मामले में जयेंद्र सरस्वती का नाम आया था. लेकिन 2013 में उन्हें बरी कर दिया गया था. इस मामले में 2004 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था, उन्हें करीब 2 महीने न्यायिक हिरासत में रखा गया था. इस मर्डर केस में कांचीमठ के शंकराचार्य और उनके सहयोगी मुख्य आरोपी थे. जयेंद्र सरस्वती पृथक तेलंगाना राज्य को लेकर भी चर्चाओं में रहे थे.

 

 

Jayendra Saraswati -

सुलझ सकता था अयोध्या मामला

पिछली एनडीए सरकार के समय शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को अटल बिहारी वाजपेयी का समर्थन हासिल था. इस संबंध में स्वयं जयेंद्र सरस्वती ने साल 2010 में ये दावा किया था कि वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडीए सरकार अयोध्या विवाद के समाधान के बिल्कुल करीब पहुंच गई थी और इस उद्देश्य से एक कानून भी बनाने वाली थी.

पीएम ने शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लिखा कि शंकराचार्य हमेशा हमारे दिल में जिंदा रहेगें. उन्होंने समाज के लिए काफी काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान शंकराचार्य के साथ अपनी पुरानी तस्वीरें भी साझा कीं. प्रधानमंत्री के अलावा कई अन्य नेताओं ने भी शंकराचार्य के निधन पर दुख जताया है. बीजेपी नेता राम माधव ने ट्विटर पर लिखा कि जयेंद्र सरस्वती सुधारवादी संत थे, उन्होंने समाज के लिए काफी काम किए. केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने भी जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख जताया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन पर दुख व्यक्त किया है.