Kahani Uttar Pradesh ki: जब संसद में घुसने से रोका तो बुंदेलखंड के संत ने खाई कसम, 6 माह में चुनाव जीतकर पहुंचे लोकसभा

119


Kahani Uttar Pradesh ki: जब संसद में घुसने से रोका तो बुंदेलखंड के संत ने खाई कसम, 6 माह में चुनाव जीतकर पहुंचे लोकसभा

पंकज मिश्रा, हमीरपुर
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के एक संत को जब संसद में एंट्री नहीं मिली तो सुरक्षा कर्मियों के सामने कसम खाई कि अब छह माह के अंदर ही सांसद बनकर इस संसद की चौखट पर कदम रखेंगे। उन्होंने जनसंघ के टिकट से यहां शानदार जीत दर्ज की थी। इन्‍हीं स्वामी ब्रह्मानंद ने गो वध आंदोलन के दौरान देश की संसद के बाहर पांच सौ संतों के साथ धरना दिया था।

वीरभूमि बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के राठ क्षेत्र के बरहरा गांव के शिवदयाल 21 साल की उम्र में ही घर छोड़कर सन्यासी बन गए थे। ये लोधी जाति के थे। इनके पिता खेतीबाड़ी करते थे। ये बुंदेलखंड क्षेत्र में स्वामी ब्रह्मानंद के नाम से विख्यात हुए। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सिंह ने बताया कि 7 सितम्बर 1966 को दोपहर संसद भवन के मेन गेट पर पांच सौ साधु-संतों के साथ गो वध आंदोलन को लेकर स्वामी धरने पर बैठे थे।
यूपी का राजयोग: जिस बाघंबरी मठ के आगे झुकती है यूपी की सियासत, कभी बादशाह अकबर ने भी उसके सामने टेका था माथा
धरने में सामूहिक रूप से लिए गए फैसले के बाद स्वामी ने संसद में एंट्री करने को जैसे ही कदम रखा तो मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें यह कहकर रोक लिया कि आप लोग महात्मा संत हैं और इस तरह से संसद के अंदर जाना गलत है। संसद में प्रवेश करना है तो वैधानिक रूप से चुनकर संसद भवन आने पर ससम्मान प्रवेश करने में स्वागत किया जाएगा। सुरक्षा कर्मियों की बातें सुनकर स्वामी ब्रह्मानंद ने पांच सौ साधु-संतों व सुरक्षा कर्मियों के सामने प्रतिज्ञा की कि आज से छह माह के अंदर इसी गेट से सांसद के रूप में निर्वाचित होकर प्रवेश किया जाएगा। इसके बाद स्वामी वहां से वापस राठ आ गए थे। वह यहां सात दिनों तक अपनी कुटिया में रहे, लेकिन किसी से नहीं मिले।

कांग्रेस की लहर के बीच स्वामी ब्रह्मानंद ने पूरी की प्रतिज्ञा
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में वर्ष 1967 में आम चुनाव में स्वामी ब्रह्मानंद ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए जनसंघ पार्टी जॉइन की और चुनाव मैदान आ गए। कांग्रेस की प्रचंड लहर के बीच पहली बार में ये 54.1 फीसदी वोट पाकर निर्वाचित हो गए। यहां की सीट 1952 से 1962 तक कांग्रेस के कब्जे में रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए स्वामी ने संसदीय क्षेत्र के पांचों विधानसभा क्षेत्रों में भी कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी की। जिससे जनसंघ पार्टी के खाते में पांच सीटें आई थीं।

सांसद बनने के बाद स्वामी ने संसद के अंदर किया था प्रवेश
स्वामी ब्रह्मानंद के करीबी रहे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सिंह ने बताया कि स्वामी ऐसे फकीर थे, जिन्‍होंने सांसद बनने के बाद भी अपने हाथ से पैसा तक नहीं छुआ था। पूरा संसदीय क्षेत्र चुनाव में जनसंघ मय हो गया था। संसदीय क्षेत्र में जनादेश के बाद छह माह के अंदर सांसद बनने की अपनी प्रतिज्ञा पूरी की फिर स्वामी ब्रह्मानंद लोकसभा पहुंचे थे। जहां उनका सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में फूल बरसाकर स्वागत किया गया था। इस बात का उल्लेख ‘संसद में प्रवेश’ नामक संस्मरण में है।
navbharat times -Siyasat Ke Raja: यूपी की वह लोकसभा सीट जिसने एक राजमाता और युवराज के रास्‍ते हमेशा के लिए अलग कर दिए
वीवी गिरि के राष्ट्रपति बनने में स्वामी ब्रह्मानंद का था अहम रोल
वर्ष 1969 में भारत वर्ष के इतिहास में पहली बार वीवी गिरि को राष्ट्रपति पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी बनाया गया था। तत्कालीन पीएम इन्दिरा गांधी वीवी गिरि के लिए तैयार नहीं थीं। कांग्रेस ने नीलम संजीव रेड्डी को प्रत्याशी घोषित किया था। स्वामी ने सभी के सामने भविष्यवाणी की कि वीवी गिरि ही राष्ट्रपति निर्वाचित होंगे। स्वामी तीन बार इन्दिरा गांधी से मिले औैर जनसंघ के सांसद होते हुए भी वीवी गिरि के पक्ष में चुनाव प्रबन्धन संभाला। जिससे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में वीवी गिरि आखिरकार राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हुए।



Source link