जाने भारत से पंगा लेना पाकिस्तान को कितना महंगा पड़ रहा है ?

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जाने भारत से पंगा लेना पाकिस्तान को कितना महंगा पड़ रहा है ?

जाने भारत से पंगा लेना पाकिस्तान को कितना महंगा पड़ रहा है

जम्मू कश्मीर में पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध और भी ख़राब दौर से गुजर रहे हैं. भारत ने इस गर्म माहौल में पाकिस्तान को निर्यात की जाने वाली बहुत सी वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगा दी है और उसको दिए गए ‘वरीयता वाले देश’ (MFN) का दर्जा भी वापिस ले लिया है.इसके अलावा पाकिस्तान के ऊपर संयुक्त राष्ट्र संघ सहित सुरक्षा परिषद् के सभी परमानेंट सदस्यों के द्वारा दबाव ने तो जैसे उसकी सासें ही रोक दी हैं.

आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि भारत के कूटनीतिक प्रयासों से पाकिस्तान के ऊपर किस तरह के संकट आ चुके हैं और पाकिस्तान किस तरह की समस्याओं से गुजर रहा है.

पाकिस्तान मुख्य रूप से निम्न संकटों में फंस रहा है

खाद्य संकट: आकंड़ों में मुताबिक भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार लगभग 2 अरब डॉलर का है. भारत, पाकिस्तान को मुख्य रूप से सब्जियां, मसाले, फल, कॉटन, टायर, जैविक रसायन, प्लास्टिक, रबर, खाद्य नट, पलस्तर सामग्री और खनिज ईंधन निर्यात करता है

महंगाई में वृद्धि: भारत ने पाकिस्तान को निर्यात को जाने वाली वस्तुओं पर कर की दरें बढ़ा दी हैं जिससे पाकिस्तान जाने वाली कई वस्तुओं के दाम बढ़ गये हैं और ऐसी अपुष्ट खबरें आ रहीं हैं कि पाकिस्तान में टमाटर 200 रुपये किलो बिक रहा है. पाकिस्तान के अफगानिस्तान, बांग्लादेश जैसे पडोसी देशों के साथ भी रिश्ते ठीक नहीं हैं जिसके कारण पाकिस्तान में महंगाई में कमी आने की कोई संभावना नजर नहीं आती है.

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पाकिस्तानी रुपये की वैल्यू में गिरावट: वर्तमान में एक अमेरिकी डॉलर और पाकिस्तानी रुपये के बीच विनिमय दर 1 डॉलर =140 पाकिस्तान रुपये है जो कि एक एक साल पहले केवल 1 डॉलर =110 पाकिस्तान रुपये थी. इससे पता चलता है की पाकिस्तान के रुपये की हालत पतली होती जा रही है. ध्यान रहे कि डॉलर और भारतीय रुपये के बीच विनिमय दर अभी 70 रुपये के आस पास है.

पाकिस्तान के कर्ज में वृद्धि: दिसम्बर 2018 तक पाकिस्तान के ऊपर कुल 97 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज था जो कि उसकी जीडीपी का 87% है. पाकिस्तान के कुल कर्ज का 20% चीन से लिया गया है. पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि यह देश चीन का गुलाम जल्दी बनेगा.

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अंतरराष्ट्रीय दबाव: जैसा कि पूरा विश्व जान गया है की पाकिस्तान की विदेश नीति ही आतंकबाद को बढ़ावा देना है. इसी कारण इसके ऊपर पूरे विश्व के बड़े देशों और संस्थाओं का दबाव बढ़ता जा रहा है. अभी अमेरिका ने पाकिस्तान के नागरिकों को दी जाने वाली वीजा अवधि को 5 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दिया है. अमेरिका ने पाकिस्तान को पिछले 15 सालों में 33 अरब डॉलर की सैन्य सहायता दी है लेकिन अब यह अमेरिकी मदद केवल 150 मिलियन डॉलर रह गयी है.

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