जानिए सावन से जुड़ी कुछ खास बातें

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जानिए सावन से जुड़ी कुछ खास बातें

इस साल सावन माह की शुरूआत 17 जुलाई से हो रही है. सावन के पावन महीने में शिव की अराधना की जाती है. इतना ही नहीं सावन के महीने में किए जाने वाले व्रत को भी महत्वपूर्ण माना जाता है. इसमें शिव महापुराण का पाठ करना बहुत ही शुभ कहा जाता है. चलिए जानते है सावन से जु़ड़े कुछ खास तथ्य.


सावन माह का महत्व
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि सावन के माह में ही समुद्र मंथन किया गया था. इस मंथन के दौरान ही समुद्र से विष निकला था, जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में उतारकर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की. इसलिए यह कहा जाता है कि इस माह में विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना की जाती है इन्हीं दिनों भगवान शिव के भक्त उनकी भक्ती में लीन रहते है.


कांवड़ यात्रा का महत्व
सावन के महीने में लाखों भक्त कई स्थानों से गंगा और अन्य पवित्र नदियों से कांवड में जल लेकर पदयात्रा करते हुए शिव मंदिर आते है, यहां आकर जलाभिषेक करते हैं. इस महिने में शिव की पूजा करना और कावंड लेने जाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने ही इस कांवड़ परंपरा की शुरूआत की थी. भगवान परशुराम, शिव की पूजा करने के लिए पुरा महादेव मंदिर की स्थापना की. जिसके बाद उन्होंने वहां पूजा की और कांवड में गंगाजल भरकर पदयात्रा करके आये, साथ ही उसी जल से भगवान शिव का जलाअभिषेक किया. यह भी कहा जाता है कि समुद्र मंथन में भगवान शिव का देह जलने लगा था. जिसे शांत करने के लिए देवताओं ने विभिन्न पवित्र नदियों और सरोवरों के जल से उन्हें स्नान कराया. यही वजह है कि भगवान शिव का कांवड के जल से अभिषेक करने पर वह सबसे ज्यादा प्रसन्न होते है.

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जल चढ़ाने का महत्व
कांवड़ के रहस्य के साथ ही जुड़ी है शिव के जलाभिषेक की परंपरा जो सावन माह में शिव पूजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व भी समुद्र मंथन से ही जुड़ा हुआ है. इसी विष को शांत करने के लिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव स्वयं जल है. शिवपुराण के श्लोक में कहा गया है कि जो जल समस्त जगत के प्राणियों में जीवन का संचार करता है वह जल स्वयं उस परमात्मा शिव का रूप है.


बेलपत्र और शमीपत्र का महत्व
भगवान शिव की पूजा कभी भी होती है तो उसमें बेलपत्र और शमीपत्र जरूर चढ़ाया जाता है और सावन के माह में भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और शमीपत्र जरूर चढ़ाते है. इस पर एक पौराणिक कथा भी प्रसिद्घ है. जिसमें बताया गया है कि जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की यह विधि ब्रह्मा से जानी थी. उन्होंने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं. एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र होता है और एक हजार फल के बराबर एक शमीपत्र का महत्व होता है. इसलिए सावन के माह में बेलपत्र और शमीपत्र का बहुत ही अधिक महत्व होता है.

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सावन सोमवार और श्रवण नक्षत्र का महत्व
कहा जाता है कि यह माह आशाओं की पूर्ति का समय होता है और इस माह में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार से शिव का सबसे करीब का रिश्ता होता है. इसी प्रकार श्रवण नक्षत्र तथा सोमवार से भगवान शिव शंकर का गहरा संबंध है. हिंदू पंचाग के अनुसार सभी मासों को किसी न किसी देवता के साथ जोड़ा जा सकता है. उसी प्रकार श्रवण में पड़ने वाले सावन मास को भगवान शिव जी के साथ देखा जाता है इस समय शिव आराधना का विशेष महत्व होता है.

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सावन का महीना काफी पवित्र है जिससे कि लोग इस महीने में पूजा पाठ करके भगवान शिव को प्रसन्न करने में लगे रहते है. इतना ही नही इसमें सोमवार को उपवास भी रखा जाता है. इन दिनों में शिव के मंदिरो में भक्तों की भीड़ लगी रहती है.