जानिए भारत और चीन के सैनिक LAC बॉर्डर पर गोलियां क्यों नहीं चला सकते ?

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जानिए भारत और चीन के सैनिक LAC बॉर्डर पर गोलियां क्यों नहीं चला सकते

भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव अपने चरम पर है। 15 जून की रात को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में दोनों ओर नुकसान पहुंचा गया है।बताया जा रहा है कि इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए, जबकि चीन के 43 सैनिकों को नुकसान पहुंचा गया है।इनमें से कुछ मारे गए हैं, कुछ गंभीर रूप से घायल हुए हैं। 1975 के बाद इस तरह की यह पहली झड़प है। झड़प के दौरान चीन की सेना ने भारतीय जवानों पर नुकीले तार, डंडों से हमला किया।

आईए जानते हैं कि ऐसा कौन सा नियम या समझौता है, जिसके तहत दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर फायरिंग नहीं कर सकते। दरअसल, भारत और चीन ने समझौतों के तहत तय किया है कि मतभेद कितने भी हों, बॉर्डर पर हम उत्तेजना पर काबू रखेंगे। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चीन आए थे, तब दोनों देशों ने आधारभूत राजनीतिक मापदंड तय किए गए थे, जिन्हें बाद में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में दोहराया गया।

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दोनों देशों के बीच यह किया गया कि फ्रंटलाइन पर जो भी सैनिक तैनात होंगे, उनके पास या तो हथियार नहीं होंगे और अगर रैंक के हिसाब से अफसरों के पास बंदूक होगी तो उसका नोजल जमीन की तरफ होना चाहिए।चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है।

इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है।चीन और भारत के बीच लद्दाख के गलवान नदी इलाके में तनाव चरम पर पहुंच चुका है। कई राउंड की बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। अभी तक इस मामले में सैन्य स्तर की बातचीत हो रही थी।

भारत और चीन

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अब माना डा रहा है कि डिप्लोमेटिक लेवल की बातचीत की जरूरत है।भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है।पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

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