जापान: #Metoo की तर्ज पर चला #Kutoo अभियान, जानिए क्या है पूरा मामला

459
जापान: #Metoo की तर्ज पर चला #Kutoo अभियान, जानिए क्या है पूरा मामला

जापानी महिलाओं का एक समूह काम पर ऑफिस में ऊँची एड़ी की सैंडल पहनने की अनिवार्यता के खिलाफ विरोध कर रहा है। इसीलिए वहाँ पर #metoo अभियान के तर्ज पर #Kutoo अभियान चलाया गया। # KuToo अभियान की शुरुआत अभिनेता और फ्रीलांस लेखक यूमी इशिकावा द्वारा किया गया। शिकायतकर्ताओं ने सोमवार को सरकार के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत की।

KuToo शब्द जापानी भाषा के ‘कुत्सु’ का है जिसका अर्थ होता है ‘जूता’ और दर्द। महिलाओं ने कहा कि ऊँची एड़ी के सैंडल पहनना लगभग एक दायित्व बन गया है। जब भी महिलाएं जापानी कॉरपोरेट्स में नौकरी करने या काम करने के लिए जाती हैं।

इस विरोध प्रदर्शन के अगुआ इशिकावा ने श्रम मंत्रालय से मीटिंग के बाद सवांदाताओ से सवाल पूछे जाने पर कहा, ‘आज हमने एक याचिका पेश की जिसमें नियोक्ताओं (नौकरी करने के लिए आवेदन करने वाले) द्वारा महिलाओं को यौन भेदभाव या उत्पीड़न के रूप में ऊँची एड़ी के सैंडल पहनने के लिए मजबूर करने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।”

High heels -

द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान के सरकारी अधिकारी याचिका के प्रति सहानुभूति रखते है। इस साल की शुरुआत में इशिकावा ने ट्विटर पर एक होटल की नौकरी के लिए ऊँची एड़ी की सैंडल पहनने की आवश्यकता के बारे में शिकायत की थी। जब उनका ट्वीट वायरल हुआ, तो उन्होंने एक अभियान शुरू करने का फैसला किया।

ब्रिटेन में 1.5 लाख से अधिक लोगों द्वारा इसी तरह की याचिका पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह मामला तब उठा जब एक कंपनी में काम करने वाली रिसेप्शनिस्ट निकोला थोर्प को 2016 में फ्लैट जूते पहनने के कारण उसे घर भेज दिया गया था। अस्थायी रिसेप्शनिस्ट के रूप में अपने पहले दिन निकोला ने काम करने के लिए 2-4 इंच की एड़ी वाली सैंडल पहनने से इनकार कर दिया था।

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत ने कॉरपोरेट्स को 2017 में महिला कर्मचारियों को ऊँची एड़ी के जूते पहनने के लिए मजबूर करने पर प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि यह प्रथा खतरनाक और भेदभावपूर्ण थी।