आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए CINTAA और जिंदगी हेल्पलाइन की बड़ी पहल

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आत्महत्या के मामलों को रोकने के लिए CINTAA और जिंदगी हेल्पलाइन की बड़ी पहल

मुंबई: बॉलीवुड के कलाकारों के चेहरे पर लगे मेकअप के पीछे छिपा असली चेहरा तब सामने आता है, जब किसी के खुदकुशी करने जैसी भयावह खबर या उनके मानसिक स्वास्थ्य की असलियत सबके सामने आ जाती है. बॉलीवुड के ऐसे चेहरों को समाज के लिए आदर्श माना जाता है. खुदकुशी के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सिने और टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (CINTAA) ने जिंदगी हेल्पलाइन से साझेदारी की है.

CINTAA ज्वाइंट सेक्रेटरी अमित बहल ने कहा कि एक एक्टर के मेकअप की परतों के मुकाबले दबाव की परतें अधिक होती है. वे कहते हैं, ‘सोशल मीडिया अक्सर कलाकारों के मन में, सबकी नजरों में बने रहने का तनाव पैदा करता है. इंडस्ट्री महज शोहरत और आय का जरिया नहीं है. लॉकडाउन ने यकीनन लोगों की जिंदगी में काफी तनाव पैदा कर दिया था, जिसने लोगों में अनिश्चित भविष्य के मद्देनजर डिप्रेशन में जाने पर मजबूर कर दिया. हम अपने सदस्यों तक पहुंचने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते हैं और सिर्फ महामारी के दौरान ही नहीं, बल्कि हमेशा एक-दूसरे के काम आते हैं. CINTAA ने अब जिंदगी हेल्पलाईन के साथ साझेदारी की है जो ऐसे जानकारों व हमदर्दों के केयर ग्रुप से बना है जो काउंसिंग कर लोगों की मदद करता है. CINTAA की कमिटी में साइकियाट्रिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट, साइकोएनालिस्ट और साइकोलॉजिस्ट शामिल हैं. हम इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर हैं और इसे लेकर लोगों की सहायता करना चाहते हैं.’

अमित बहल आगे कहते हैं, ‘CINTAA ने खुदकुशी जैसे मुद्दे को उस वक्त गंभीरता से लिया जब संस्था की सदस्य प्रत्युशा बैनर्जी ने 2015 को आत्महत्या कर ली थी. तब से लेकर अब तक संस्था की केयर कमिटी और आउटरीच कमिटी ने कई सेमिनारों और काउंसिंग सत्रों का आयोजन किया है, जिसके तहत मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य व योग के सत्रों व साथ ही तनाव, डिप्रेशन, आत्महत्या से बचाव जैसे उपायों पर अमल किया जाता रहा है. हमने यौन उत्पीड़न और #MeToo मूवमेंट में भी अग्रणी भूमिका निभाई थी. हमने इसपर एक वेबिनार भी किया था.’

अमित बहल कहते हैं कि CINTAA ऐसे बड़े फिल्म स्टूडियोज, हितधारकों, ब्रॉडकास्टरों और कॉर्पोरेट कंपनियों को भी संपर्क करने की कोशिश कर रही है जो अपने CSR के तहत पैसों का योगदान दे सकते ताकि कलाकारों और तकनीशियनों के लिए एक 24/7  हेल्पलाइन स्थापित की जा सके.

जिंदगी हेल्पलाइन की संस्थापक अनुषा श्रीनिवासन कहती हैं, ‘अपने देश में मानसिक बीमारी को कलंक समझा जाता है. कलाकारों को अमीर शख्सियत के तौर पर देखा जाता है. लेकिन उनकी जिंदगी व शोहरत संक्षिप्त होती है. वो दूसरों से मदद मांगने में भी असमर्थ होते हैं. हाल के दिनों में दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) मानसिक बीमारी को लेकर काफी सक्रिय रही हैं और लोगों के सामने वो एक मिसाल के तौर पर उभरी हैं और उन्होंने दूसरों की राह को और आसान बना दिया है. ऐसे में जिंदगी हेल्पलाइन एक अहम बदलाव लाने में कारगर साबित होगा.’

जिंदगी हेल्पलाइन की मुख्य संस्थापक सदस्यों में से एक डॉ. श्रद्धा सिधवानी कहती हैं, ‘टेलीविजन और फिल्म इंडस्ट्री में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं. कोरोना महामारी के पहले भी यही स्थिति थी. अब मनोचिकित्सकों का दखल देना जरूरी हो गया है. एक बार जब आपकी फिल्म रिलीज हो जाती है, तो आप नाम, शोहरत, पैसा बटोरने में व्यस्त हो जाते हो, लोगों से घिरे रहते हो और प्रमोशन के लिए लगातार यात्राएं करनी पड़ती हैं. फिल्म की रिलीज से पहले और बाद में भी एक खास किस्म की चिंता सताती रहती है. लोगों के आलोचनात्मक रवैये से जूझना भी एक अहम काम होता है. कोई भी शख्स ऐसी टिप्पणियों को निजी तौर पर ले सकता है. ऐसे में उसमें नकार दिये जाने की भावना घर कर जाती है और अगर प्रोजेक्ट सफल साबित न हो, तो उन्हें खुद की काबिलियत पर भी शक होने लगता है.’

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