ममता बनर्जी अगर नंदीग्राम से चुनाव हारी है तो मुख्यमंत्री कैसे बनी ?

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ममता बनर्जी अगर नंदीग्राम से चुनाव हारी है तो मुख्यमंत्री कैसे बनी ? ( Mamta Banerjee lost the election from Nandigram then how did she become Chief Minister )

अभी हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के लिए एक बहुत बड़ी चुनावी लड़ाई थी. जिसमें दोनों पार्टियों ने अपनी अपनी तरफ से पूरी ताकत लगा रखी थी. लेकिन 2 मई को आए चुनाव नतीजों ने  तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को भारी बहुतमत से सत्ता में ला दिया तथा बीजेपी जो 200 पार सीटों का दावा कर रही थी वह 100 सीटों से भी काफी पीछे रह गई. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का नेतृत्व इन चुनाव में ममता बनर्जी कर रही थी. लेकिन इसी के साथ ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा तथा वहां से वो अपना चुनाव हार गई. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हारने के बाद वो मुख्यमंत्री कैसे बनी ?

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नंदीग्राम से हार के बाद मुख्यमंत्री कैसे बनी ?

जब किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं, उसके बाद जो भी पार्टी सत्ता में आती है, वह अपने में से ही किसी एक विधायक को अपना नेता चुनती है तथा वहीं मुख्यमंत्री बनता है. मुख्यमंत्री बनने के लिए किसी भी व्यक्ति का उस राज्य में विधायक होना बहुत जरूरी है. आप सोच रहे होगें कि फिर ममता बनर्जी मुख्यमंत्री कैसे बनी. आपको बता दें, कि यदि पार्टी के विधायक ऐसे व्यक्ति को अपना नेता मान लें जो विधायक नहीं है. तो वह मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए एक शर्त होती है कि मुख्यमंत्री बनने के 6 महिने के अंदर अंदर उसे किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीतना होता है. अगर ऐसा करने में वह असफल होता है तो वह 6 महिने तक ही मुख्यमंत्री रह सकता है. इसी आधार पर ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री बनाया गया है. अब आने वाले 6 महिने में उनको किसी विधानसभा से जीतना होगा.

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क्यों महत्वपूर्ण थी नंदीग्राम सीट-

भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) दोनों पार्टियों के बीच कांटे की चुनावी टक्कर पहले ही नजर आ रही थी. लेकिन इसके साथ ही एक सीट जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनी हुई थी, वो थी नंदीग्राम सीट. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि इस सीट से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की तरफ से ममता बनर्जी खुद चुनाव लड़ रही थी. जोकि इससे पहले 2 बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री रह चुकी थी. ममता बनर्जी को टक्कर देने उनकी ही पार्टी के पूर्व नेता सुवेंदु अधिकारी मैदान में थे. चुनाव परिणाम में ममता बनर्जी ये सीट हार गई.

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ममता बनर्जी स्ट्रीट फाइटर-

पश्चिम बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी का बहुत बड़ा नाम है. 2011 से वो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है. ममता बनर्जी खुद को स्ट्रीट फाइटर कहती हैं. स्ट्रीट फाइटर का मतलब होता है कि गली की योद्धा. जिसका अर्थ है कि वो आम आदमी से जुड़ी हुई हैं तथा गली-गली में जाकर लोगों की आवाज बनती हैं. जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के लिए कहा जाता है कि वह चाय बेचकर देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचे हैं. ठीक वैसे ही ममता बनर्जी भी स्ट्रीट फाइटर जिसका अर्थ है कि वो स्ट्रीट के स्तर से अपनी आवाज उठाती हुई बंगाल के मुख्यमंत्री पद तक पहुँची हैं. इसी बात को लोगों के सामने लाने के लिए ममता बनर्जी ने खुद को स्ट्रीट फाइटर कहा है.

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ममता बनर्जी का बचपन बहुत संघर्षपूर्ण रहा है. जब वो छोटी थी तभी उनके पिताजी का निधन हो गया था. जिसके बाद बड़ी आर्थिक तंगी के हालात का सामना ममता बनर्जी को करना पड़ा. जहाँ तक ममता बनर्जी के पहनावे की बात है तो वे साधारण रहना पसंद करती हैं. वह हमेशा कॉटन की सफेद साड़ी पहनती हैं. चाहे घर में हों या संसद भवन में, रैली हो या किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम में ममता बनर्जी हमेशा साधारण रंग की साड़ी पहनना पसंद करती हैं. ममता बनर्जी पैरों में रबड़ की हवाई चप्पल पहनती हैं.

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