वनवास का असल कारण बनी मंथरा को राम के प्रति ऐसा क्या बैर?

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वनवास का असल कारण बनी मंथरा को राम के प्रति ऐसा क्या बैर?
वनवास का असल कारण बनी मंथरा को राम के प्रति ऐसा क्या बैर?

रामायण हिन्दू ग्रंथो में से एक पवित्र ग्रन्थ माना गया है इसकी रचना तुलसीदास और वाल्मीकि ने की थी। रामायण हमे आदर्श बेटे, आदेश पत्नी , आदेश भाई होने कि सीख मिलती है। रामायण की असल कहानी वनवास जाने के बाद आरम्भ हुई थी जिसके बाद वनवास के दौरान राम भगवान ने रावण का वध कर एक नए युग कि नीव रखी थी और यह दर्शाया था कि बुराई का हमेशा नाश होता है लेकिन इस वनवास के पीछे जो सबसे बड़ा कारण था वो थी मंथरा क्या आपने कभी सोचा मंथरा का राम के प्रति ऐसा क्या बैर था जो कैकेयी के कान भरकर उसने राम को वनवास भिजवा ने के लिए कैकयी द्वारा दशरथ को विवश कर दिया था?

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वह कैकई की धाय मां थी और उसे भरत से भी अत्यंत लगाव और प्रेम था। वो भरत को अपने बच्चे की तरह मानती थी। मंथरा एक कम ज्ञानी औरत थी साथ ही उसका स्वभाव भी काफी कुटिल थी। कैकई के प्रति प्रेम होने के नाते वह हमेशा राम और भरत की तुलना करती रहती थी और भरत को राम से ऊपर रखती । इस कारणवश उसके दिल में राम के प्रति द्वेष आ गया। उससे यह भी लगता था की अगर भरत राजा बनेगा तो कैकयी का एक अलग मान रहेगा जिसका फायदा कही न कही उसे भी मिलेगा।

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राम में राजा बनने के सारे गुण थे इसलिए दशरथ ने उसे राजा बनाने का फैसला लिया लेकिन मंथरा को यह भय था कि राम के राजा बनने से कौशल्या का मान बढ़ेगा और राम आगे चलकर भरत से भेद भाव का सकता है। जिसके कारण क्या पता उसे भी एक दिन अयोध्य से बाहर जाना पड़ा जाए इसलिए उसकी कुटिल बुद्धि का परिणाम के कारण भगवान राम को वनवास जाना पड़ा।

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