राजस्व न्यायलयों में मुकदमों का लगा अंबार

385

सीएम के निर्देश के बाद भी राजस्व न्यायालयों में लंबित वादों के निस्तारण में तेजी नहीं दिख रही है। सबसे खराब हाल पुराने केसों का है। डीएम, एडीएम, एसडीए और तहसीलदार से लेकर नायब तहसीलदार के न्यायालयों में अभी पुराने मामलों में ही सात हजार केस लंबित हैं। इनमें आधे से अधिक पिछले एक वर्ष से और करीब 2500 पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं।

इन मुकदमों का निस्तारण न होने की दशा में राजस्व परिषद ने प्रशासन से जवाब तलब किया है। इन न्यायालयों में अधिकतर दाखिल खारिज, अभिलेख दुरुस्ती, बंटवारा और निशानदेही के मुकदमे लंबित हैं। सबसे अधिक 930 मुकदमे सरोजनीनगर तहसीलदार न्यायालय में लंबित हैं। वहीं तहसीलदार न्यायिक मोहनलालगंज न्यायालय में 780 और एसडीएम सरोजनीनगर के यहां 1700 केस पेंडिंग हैं। वहीं डीएम कोर्ट 197, एडीएम प्रशासन के यहां 576 मुकदमों को निस्तारण होना अवशेष है। राजस्व परिषद अध्यक्ष की ओर से सभी डीएम को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सीएम के आदेश के बावजूद पांच साल पुराने मुकदमों के निस्तारण में कोई सुधार नहीं हो रहा है। इसे लेकर सीएम ने नाराजगी जताते हुए दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की बात कही है। इसमें कहा गया है कि पूरे प्रदेश में पांच साल या उससे पुराने हजारों मुकदमे लंबित हैं। पत्र में अधिकारियों को नियमित सुनवाई करने के आदेश दिए गए हैं।

Many cases are still pending in revenue court 1 news4social -

पीठासीन अधिकारियों का है अभाव

सरकार ने पुराने वादों के निस्तारण के निस्तारण के लिए प्रति दिन सुनवाई करने का आदेश तो जारी कर दिया मगर सुनवाई हो कैसे हो इसका उपाय नहीं बताया। एडीएम प्रशासन श्रीप्रकाश गुप्ता ने बताया कि पीठासीन अधिकारियों की कमी के चलते मुकदमों का निस्तारण अपेक्षित नहीं हो रहा है। उन्होंने यह दावा किया कि अन्य की अपेक्षा जनपद में पुुराने केस कम संख्या में लंबित हैं।

यहीं है 1800 मामले लंबित

अकेले डीएम व आठ एडीएम की कोर्ट में ही करीब 1800 से अधिक मामले चल रहे हैं जिनकी तारीखें लगातार बढ़ाई जा रही हैं। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों का कहना सभी फरियादियों को इनके मुकदमों की तारीखों की जानकारी दी जा रही है। जिनके मोबाइल नंबर फीड हैं उन्हें मैसेज कर मुकदमों की पैरवी करने के लिए मार्च महीने की नई तारीखें दी जा रही हैं।

प्रतिदिन 250 मुकदमों की होती है सुनवाई

अधिकारियों की मानें तो सभी राजस्व न्यायालयों में लगभग प्रतिदिन 200 से 250 मुकदमें लगते हैं। दूर दराज क्षेत्रों व गांवों से आकर लोग पेशकार से तारीखें पताकर वापस लौट रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कतें ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के सामने आ रही हैं। तहसीलों में अभी भी राजस्व मुकदमों की बदली गई तारीखों की सूचनाएं चस्पा नहीं की गई हैं।

लेखपाल नहीं लगा रहे रिपोर्ट

जमीनों से संबंधित मुकदमों की सुनवाई अब इसलिए भी बंद हो गई है क्योंकि सभी लेखपाल भी इस समय यूपी दिवस से लेकर लखनऊ महोत्सव और यूपी सम्मिट की तैयरियों में लगाए गए हैं। इसलिए लेखपालों ने भूसंपत्तियों से संबंधित मामलों में जांच रिपोर्ट लगाना भी बंद कर दिया है। यही नहीं आय, जाति व निवास प्रमाण पत्र में भी लेखपालों की जांच रिपोर्ट न लग पाने के कारण इनकी पेंंडेंसी लगतार बढ़ती जा रही है।