जानिए क्यों मेडिकल स्टूडेंट्स सड़क पर भीख मांग रहे हैं ?

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उत्तराखंड के देहरादून में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 3500 स्टूडेंट भीख मांग कर कॉलेज के खिलफ आंदोलन पर उतर आये है, पहले यह विरोध प्रदर्शन कॉलेज तक सीमित था फिर देहरादून सचिवालय के पास बने पवेलियन ग्राउंड पर बैठ कर छात्रों ने अपनी व्यथा प्रकट की लेकिन अब तो बात यहाँ तक आ गयी की स्टूडेंट्स को सड़को पर भीख मांगना पर रहा है।

विरोध का असली कारण है की कॉलेजों की फीस बढ़ा दी गई है वो भी एक दो गुना नहीं बल्कि तीन से चार गुना ,जिसका स्टूडेंट्स बड़े स्तर पर विरोध कर रहे है , और भीख मांग कर कॉलेज की फीस देने का प्रयास कर रहे है। मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया, जिसके बाद कोर्ट ने कॉलजों को आदेश दिया था कि वो बढ़ी हुई फीस कम करे और जो फीस स्टूडेंट्स से ली गई है, उसे भी वापस करे.

खबर ऐसी भी आयी है की कोर्ट की फटकार के बाद भी कॉलेज अपनी करतूत से बाज नहीं आया अभी भी कॉलेज की फीस में कोई कटौती नहीं की गयी, जिसका विरोध करते हुए, मेडिकल स्टूडेंट्स सड़कों पर कटोरा लेकर बैठ गए और ‘भीख’ मांगने लगे. उत्तराखंड सरकार भी प्राइवेट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलजों के आगे बेबस दिख रहा है।

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निजी आयुष कॉलेज उच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवहेलना कर रहा है । छात्रों पर बढ़ा हुआ शुल्क जमा करने का लगातार दबाव बनाया जा रहा है। जहा सरकार बच्चो को अच्छी और सस्ती शिक्षा उपलब्ध करने का दावा कर रही है। स्टूडेंट्स को बड़े स्तर पर छात्रवृत्ति दे रही है आधी फीस माफ़ कर रही वही पर कॉलेज का ऐसा रुख? प्रतीत होता है की हाई कोर्ट के आदेश को चैलेंज कर रहा है या फिर सीधे तोर पर उसे नकार रही है।
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अभिभावक हो या फिर बच्चे पढ़ाई को लेकर दोनों ही काफी सचेत रहते है, फिर चाहें वह स्कूल की हो या फिर कॉलेज की. अपने बच्चों की पढा़ने के लिए लोग जीतोड़ मेहनत भी करते है और उन्हें पढ़ाने के लिए कितनी भी फीस क्यों न हो हमेशा भरने के लिए तैयार रहते है।

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अगर विद्या के नाम पर विद्या का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल कॉलेज बिज़नेस चलने लगेंगे फीस के नाम पर अच्छी ख़ासी रकम की वसूली कर रहे है। यह हर लिहाज से गलत है।