जीएसटी का दवाओं पर असर, क्या इलाज होगा महंगा?

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जीएसटी का दवाओं पर असर, क्या इलाज होगा महंगा?

जीएसटी: जुलाई 1 से वस्तु व सेवा कर लागू होने के बाद ज्यादातर आवश्यक दवाएं महंगी हो जाएंगी। इनकी कीमतों में 2.29 फीसदी तक वृद्धि हो सकती है। सरकार ने आवश्यक दवाओं पर जीएसटी की दर 12 फीसदी टैक्स है। इंसुलिन जैसी कुछ चुनिंदा दवाओं के दाम घट सकते है। सरकार ने इन पर जीएसटी की दरों को घटाकर पांच फीसदी की है, जो पहले 12 फीसदी प्रस्तावित थी। आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में हेपैरिन, वॉरफेरिन, डिलटियाजेम, डायजेपाम, आइब्रुफेन, प्रोप्रैनोलोल और इमेटिबिन है।

दवा कीमत नियामक एनपीपीए ने सूचित कर दिया है कि अनुसूचित दवाओं की संशोधित अधिकतम कीमतों की गणना मौजूदा अधिकतम मूल्यों में 0.9595 के कारक लागू करके की जाएगी। यह उन दवाओं के साथ किया जाएगा जहां अधिकतम मूल्य पर उत्पाद शुल्क वसूला जाता है। एनपीपीए के चेयरमेन भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि उन्हें भरोसा है कि जीएसटी का कार्य सुचारु रूप से हो जाएगा।

ट्रैक्टर निर्माता है दरों से निराश
ट्रैक्टर निर्माताओं ने चुनिंदा कम्पोनेंट्स पर जीएसटी दर में कटौती से निराशा जताई है। इन हिस्सों पर जीएसटी दर घटाकर 18 फीसदी कर दी गई है। निर्माता चाहते है यह दर सब हिस्सों पर लागू हो। नई टैक्स सिस्टम में प्रति वाहन इनपुट लागत लगभग 25 हजार रूपये तक बढ़ जाएगी। ट्रैक्टर मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ने बताया कि जिन 66 आइटम पर जीएसटी दर कम की गई है, उनमे ट्रैक्टर बनाने में इस्तेमाल होने वाली ज्यादातर प्रमुख कम्पोनेंट क छोड़ दिया है।

तेल और गैस उद्योगों पर होगा ऐसा असर
जीएसटी का तेल और गैस उद्योग पर प्रतिकूल असर देखने को मिलेगा। इस सेक्टर को मौजूदा कर व्यवस्था और जीएसटी ढाँचे दोनों का पालन करना होगा। इकरा-एसोचैम कि सयुंक्त रिपोर्ट में यह बात कही गई है। कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, मोटर स्प्रिट, डीजल और विमान ईंधन को बाहर रखा गया है। एलपीजी, नैफ्था, केरोसिन इसमें शामिल है।