जानिए मां शैलपुत्री की पूजा की विधि और कथा?

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जानिए मां शैलपुत्री की पूजा की विधि और कथा?

नवरात्र के महापर्व का शुभारंभ आज से हो गया है। आज नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण मां को शैलपुत्री कहा जाता है। मां यह स्‍वरूप बेहद शांत, सौम्‍य और प्रभावशाली है। आज नवरात्र के पहले दिन घटस्‍थापना की जाती है और मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है।

मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है।मां दुर्गा का यह स्वरूप बेहद शांत, सौम्य और प्रभावशाली है। घटस्थापना के साथ ही मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है।उनकी सवारी नंदी बैल को माना जाता है। इसलिए मां का एक नाम वृषारूढ़ा भी है। देव सती ने जब पुर्नजन्‍म लिया तो वह पर्वतराज हिमालय के घर में जन्‍मी और शैलपुत्री कहलाईं।

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मां दुर्गा की विधि से पूजा की जाती है।मां शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का का आह्वान किया जाता है।पहले दिन से आखिरी नवें दिन तक रोजाना घर में कपूर जलाना चाहिए। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा में सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। पहले से लेकर आखिरी दिन तक नवरात्रि की पूजा में कपूर का इस्तेमाल बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि मां दुर्गा की पूजा में कपूर के इस्तेमाल से उनकी विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती है।

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या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

मां शैलपुत्री को क्या लगाएं भोग-

मान्यता है कि मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं प्रिय हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप को सफेद मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें श्वेत पुष्प अर्पित करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

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