मोदी सरकार की तरफ से किसानों को मिली बड़ी सौगात, फसलों के MSP में की बढोत्तरी

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नई दिल्ली: आने वाले चुनाव से पहले ही मोदी सरकार ने किसानों को एक बड़ा तोहफा दे दिया है. मोदी सरकार ने किसानों के हित को लेकर एक अहम फैसला लिया है. कैबिनेट मीटिंग के दौरान सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी में वृद्धि कर दी है. केंद्र ने धान के समर्थन मूल्य में दो सौ रूपये की बढोत्तरी कर दी है. आज कैबिनेट बैठक के दौरान सरकार ने खरीफ फसल की एमएसपी (MSP) बढ़ाने का फैसला लिया है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा खरीफ की फसल के लिए डेढ़ गुना एमएसपी

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कैबिनेट के फैसले के बारे में बताते हुए कहा कि किसानों को अब खरीफ की फसल के लिए डेढ़ गुना एमएसपी किया गया है. इससे किसानों को फसल की सही कीमत प्राप्त होगी. किसानों को धान की फसल पर एमएसपी 1750 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. इससे पहले साल यह 1550 रुपये थी. इससे पहले बाजरे की लागत करीब 990 रुपये होती थी. लेकिन इस फैसले के बाद अब से 1950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.

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मोदी सरकार का चुनाव को लेकर मास्टर स्ट्रोक

सिंह ने आगे कहा कि आज एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है. केंद्र की मोदी सरकार ने देश के कई किसानों को इस बड़ी सौगात दी है. किसानों की नाराजगी को लेकर सरकार ने खरीफ की सभी 14 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़कर सभी को खुश कर दिया है. वहीं कैबिनेट में लिए इस फैसले को देखते हुए यह मोदी सरकार का यह चुनाव को लेकर मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. राजनाथ ने कहा कि देश के तकरीबन 12 करोड़ किसानों को इससे सीधा फायदा पहुंचेगा.

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पिछले साल सामान्य ग्रेड के धान की एमएसपी 1550 रूपये प्रति क्विंटल थी. वहीं साल 2008-09 में यूपीए सरकार द्वारा धान की एमएसपी में 155 रूपये प्रति क्विंटल की गई. मोदी सरकार के द्वारा अब तक की यह सबसे बड़ी बढ़त है. बता दें कि खरीफ की फसलों में रागी और धान की फसल सबसे अहम फसल है. जिसमें रागी का एमएसपी 900 रुपए से 2700 रुपए प्रति क्विटंल तक वृद्धि की गई है. वहीं धान में भी दो सौ रुपए तक की बढ़ोतरी हो गई है.

मोदी का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी

पीएम ने बीते दिन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और नीति आयोग के सदस्यों से मुलाकात की है. मोदी का लक्ष्य कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी की जा सकें. मोदी सरकार द्वारा लिए इस फैसला का साफ तौर पर असर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात समेत प्रदेशों पर होगा. क्योंकि इन राज्यों में किसानों की संख्या काफी अधिक है, साथ-साथ लोकसभा सीटों की भी.