MP News: राजसी वैभव और बुंदेली परंपराओं के साथ संपन्न हुआ रामराजा का विवाह, जगमगाई ओरछा नगरी

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MP News: राजसी वैभव और बुंदेली परंपराओं के साथ संपन्न हुआ रामराजा का विवाह, जगमगाई ओरछा नगरी

निवाड़ी
बुंदेलखंड की अयोध्या के नाम से मशहूर ओरछा में श्री राम राजा का विवाह समारोह राजसी वैभव के साथ संपन्न हुआ। बुधवार की रात रामराजा मंदिर से श्रीरामराजा सरकार की वर यात्रा निकाली गई। वर यात्रा नगर के मुख्य मार्गों से निकली। श्रद्धालुओं ने भगवान का जगह-जगह तिलक पूजन किया। श्रद्धालुओं ने ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजों की धुनों पर जमकर नृत्य भी किया। नगर भ्रमण के बाद रात के समय बारात जानकी मंदिर पहुंची जहां पहले बारातियों का भव्य स्वागत किया गया। रात के समय वैदिक रीतिरिवाजों के अनुसार विवाह संस्कार संपन्न हुआ।

मध्य प्रदेश में निवाड़ी जिले के ओरछा के रामराजा मंदिर में बुधवार को राम राजा की बारात ठेठ बुंदेली अंदाज में निकली। तीन दिवसीय रामविवाह महोत्सव में हाथों में मशाल लेकर राजसी अंदाज में बारात निकली तो उन्हें देखने हजारो श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई। जब रामराजा मन्दिर से बाहर निकले तो हर तरफ राम सिया के जयघोष थे। हर कोई दूल्हा सरकार की एक झलक पाने के लिए आतुर था।

पहले दिन गणेश पूजन के बाद दूसरे दिन मंडप का आयोजन किया गया। हालांकि कोविड के नए वैरिएंट ओमीक्रोन की दहशत के चलते प्रीतिभोज न होने से भक्त मायूस रहे, लेकिन बारात में हजारों की संख्या में श्राद्धालुओं ने हिस्सा लिया। जगह-जगह बुंदेली विवाह गीतों के गायन के साथ श्री रामराजा सरकार दूल्हा बनकर जनकपुरी पहुंचे। इसके बाद राम-सीता का विवाहोत्सव बुंदेली परम्पराओं और राजसी वैभव के साथ धूम धाम से सम्पन्न हुआ।

बारात में दूल्हे के रूप् में विराजमान रामराजा सरकार की प्रतिमा को पालकी में बैठाया गया। उनके सिर पर सोने का मुकुट नहीं, बल्कि आम बुन्देली दूल्हों की तरह खजूर के पेड की पत्तियों का मुकुट पहनाया गया। पालकी के एक ओर छत्र तथा दूसरी ओर चंवर लगाया गया। रंग-बिरंगी रोशनियों से जगमगाए ओरछा के रास्तों के बीच पालकी के आगे बुन्देली अंदाज में मशालची मशाल लेकर आगे-आगे चल रहा था। नगर में भम्रण के बाद बारात रामराजा की ससुराल विशम्भर मंदिर (जानकी मंदिर) पहुंची। यहां पर बारातियों के भव्य स्वागत के साथ द्वारचार की रस्म पूरी हुई। इस दौरान नगर की गली-गली बुन्देली वैवाहिक गीतों से गूंजती रही।

इस तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन गणेश पूजन, दूसरे दिन मण्डप का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष भर में ओरछा के लोग अपने राजा को अपने यहां वैवाहिक समारोह व प्रीतिभोज में आमंत्रित कर प्रीतिभोज देते हैं। वर्ष में एक बार रामराजा सरकार के यहां प्रीतिभोज कार्यक्रम में 50 हजार लोग भाग लेते थे, लेकिन इस बार ओमीक्रोम के चलते प्रशासन ने प्रतिभोज कार्यक्रम नहीं किया। केवल भगवान का प्रसाद बांटा गया। वही साल में एक दिन राजा अपनी प्रजा का हालचाल लेने मंदिर के बाहर आते हैं। इस दौरान भक्त अपने राजा का घरों के बाहर खड़े होकर राजतिलक करते हैं। कोरोना काल मे भी पांच वर्ष पुरानी जीवंत रही।

रामराजा की की नगरी ओरछा देश में एक ऐसी जगह है जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का सम्बन्ध है। इसलिए ओरछा के परिकोटा के अन्दर सिंर्फ रामराजा को ही गार्ड ऑफ आनर दिया जाता है। ओरछा की सीमा के अन्दर मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री समेत कोई भी अति विशिष्ट व्यक्ति गार्ड ऑफ आनर नहीं लेता है। इस तरह की पांच सौ वर्ष पुरानी अनेक परंपराएं आज भी जीवंत हैं।

परंपराओं की इसी श्रृंखला में प्रतिवर्ष रामराजा विवाह की वर्षगांठ का तीन दिवसीय आायोजन भी ठेठ बुन्देली राजसी अंदाज में होता है। पंचमी महोत्सव कों देखकर आज भी लोगों को बुन्देली राजसी वैभव की यादें ताजा हो जाती हैं। इस साल भी राजसी अंदाज में होने वाली बारात की शोभायात्रा अपने आप में अनूठी रही।



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