‘MSP को लेकर कानून बनाया जाए, तभी बॉर्डर से किसान जाएंगे’, टीकरी बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट

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‘MSP को लेकर कानून बनाया जाए, तभी बॉर्डर से किसान जाएंगे’, टीकरी बॉर्डर से ग्राउंड रिपोर्ट

टीकरी बॉर्डर
एक साल पहले टीकरी बॉर्डर (Ground Report From Tikri Border) पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का हुजूम उमड़ा था, उसी तर्ज पर शुक्रवार को भी ट्रैक्टर, ऑटो, स्कूटी और बाइक पर बड़ी संख्या में किसान बॉर्डर पर पहुंचे। सुबह से ही बॉर्डर पर किसानों के आने का दौर शुरू हुआ, जो कि देर शाम तक चलता रहा।

पंजाब से आए जसमिंदर ने बताया कि उनके पिता पिछले साल 26 नवंबर को टीकरी बॉर्डर पर आए थे, और अभी तक बॉर्डर पर हैं। बीच बीच में हम भी आते थे। एक साल पूरा होने पर सभी दिल्ली बॉर्डर पर आ हैं, जहां पर किसानों की मूलभूत मांग को लेकर साथी बैठे हैं। किसानों का एक ही मकसद है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी पर कानून बने, ताकि कोई भी माफिया किसानों की मजबूरी का फायदा न उठा सकें।

वहीं, दूसरी तरफ प्रदर्शन मंच के सामने सैकड़ो की तादात में हरि पगड़ी पहने पुरुष और पीली चुन्नी डाली महिलाएं बैठी दिखीं। एक साल पूरे होने पर उत्सव मनाया जा रहा था। साथ ही एक साल में प्रदर्शन के दौरान शहीद हुए किसानों की याद में गीत और नाटक दर्शाए गए।

‘एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए’
पंजाब के 73 साल के प्यारा सिंह का कहना है कि जब दिल्ली आए थे, तब कहा था कि तीनों बिल सरकार को वापस लेने पड़ेंगे। इन्हें वापस कराए बिना वापस नहीं जाएंगे। फिर से कह रहे हैं कि एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाए। तभी बॉर्डर से किसान जाएंगे। इसी बीच ट्रैक्टर में बैठकर किसानों का एक जत्था वहां से गुजरता है, कहता है कि किसानों की आधी जीत हुई है। पूरी जीत अभी बाकी है।

आंदोलन के बाद महिला किसान की बात होनी शुरू हुई
महिला किसान हरमीत कहती हैं कि इस आंदोलन से महिला किसानों को नई पहचान मिली है। जब हम किसान की बात करते थे, तो हमारे सामने एक हल चलाते हुए पुरुष की तस्वीर सामने आती थी। मगर इस आंदोलन के बाद महिला किसान की बात होनी शुरू हुई है। पूरे प्रदर्शन में महिला किसानों ने घर के साथ मोर्चा भी संभाला हैं।

‘मोदी जी किसानों पर रहम करों..अब तो हमारी सभी मांगे मान लो’
वहीं, दलाल खाप-88 के टेंट पर धूल चढ़ आई है, लेकिन टेंट के अंदर बैठे किसानों का जोश अभी भी देखने लायक है। कांपते हाथों से माइक थामी महिला किसान कहती है कि मोदी जी किसानों पर रहम करों। अब तो हमारी सभी मांगे मान लो।

‘हमारी लड़ाई सिर्फ बिल को वापस लेने तक नहीं थी’
75 साल के छेड़ा सिंह कहते हैं कि लड़ाई अभी जारी रहेगी। जब तक एमएसपी को लेकर केंद्र सरकार कानून नहीं बनाती। हमारी लड़ाई सिर्फ बिल को वापस लेने तक नहीं थी। हमारी लड़ाई किसानों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ है। जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाएगी। तब तक नहीं हटेंगे।

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फाइल फोटो

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