मुस्लिम लॉ बोर्ड का नया क़दम: निकाहनामें ही लिखा होगा तीन तलाक़ से तौबा का नियम

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मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित कानून लोकसभा में पास होने के बाद सरकार अब इस बिल को राज्यसभा में भी पास करने की कोशिश कर रही है. राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद सरकार की कोशिश रहेगी कि उच्च सदन से भी मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा ये अहम बिल पास हो जाए.

निकाहनामा का नया मॉडल

दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड शुरू से ही इस कानून का विरोध में है. सरकार की बातों पर गौर करते हुए और आम जनता की परेशानियों को ध्यान में रखकर बोर्ड निकाहनामा में बदलाव की तैयारी कर रहा है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक (एक बार में तीन तलाक) रोकने के लिए एक मॉडल निकाहनामा ला जा रहा है. इस निकाहनामे में निकाह के दौरान एक बार में तीन तलाक न देने की शर्त शामिल की जाएगी.

बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलुर्रहमान नोमानी ने मीडिया को बताया कि एक मॉडल निकाहनामा लाया जा रहा है. नोमानी ने बताया, ‘इस मॉडल निकाहनामे में एक कॉलम और जोड़ा जाएगा. इस कॉलम में लिखा होगा कि मैं तीन तलाक नहीं दूंगा.’

इस तरह का होगा नया निकाहनामा

निकाह के दौरान ही इस कॉलम को टिक किया जाएगा और निकाहनामा पर दूल्हे के दस्तखत से इसकी पुष्टि कराई जाएगी. पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक, एक बार इस कॉलम पर टिक होने के बाद पुरुष अपनी बीवी को तीन तलाक नहीं दे पाएगा. यानी एक बार में तीन तलाक बोलकर कोई भी पुरुष अपनी बीवी को तलाक देने का हकदार नहीं होगा और अगर वो ऐसा करता है तो तलाक नहीं माना जाएगा.

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बोर्ड के प्रवक्ता नोमानी ने बताया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक के सख्त खिलाफ है. लेकिन कुछ परिस्थिति में इसे मान्यता दी गई है. कई मामले ऐसे होते हैं जिसनें महिलाएं खुद तीन तलाक की अपील करती हैं.

जनता में जागरूकता बधाई जाएगी  

लखनऊ में आयोजित बोर्ड की मीटिंग के दौरान तीन तलाक और दहेज जैसी कुरीतियों के खिलाफ कैंपेन चलाने का भी आह्वान किया गया. ये तय किया गया है कि हर मदरसों और मस्जिदों के माध्यम से लोगों को जागरुक किया जाएगा. मीटिंग में बताया गया कि मस्जिदों से समुदाय के लोगों को दहेज और तीन तलाक जैसी बुराइयों से बचने के लिए कहा जाएगा.

बोर्ड के प्रवक्ता नोमानी ने बताया कि अगर किसी को तलाक देने की जरूरत पड़ती है तो इसके लिए पहले धर्मगुरू से संपर्क किया जाएगा. उन्होंने बताया कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. बोर्ड की मीटिंग में ये कहा गया कि वो तीन तलाक के साथ नहीं है, लेकिन जो कानून सरकार लाई है वो पर्सनल मामलों में दखल देना है.