पंजाब से एक दिलखुश कर देने वाली घटना सामने आई है

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इस वक़्त पूरा देश साम्प्रदायिक लड़ाई झगड़े में लगा हुआ है. हर तरफ से दिल ढला देने वाली खौफनाक घटनाओं का ज़िक्र हो रहा है. लेकिन हाल ही में पंजाब से एक अच्छी खबर सुनने को मिली है. यहां पर सिख भाइयों के लिए मुस्लिमों द्वारा भाईचारे की मिसाल पेश की गई है.

ये है पूरा मामला

इंडिया टाइम्स की ख़बर के अनुसार,  यह मामला राज्य के फतेहगढ़ साहिब का है. मुस्लिमों ने तीन दिवसीय शहीदी मेला के लिए सिखों को ऐतिहासिक लाल मस्जिद के परिसर में लंगर बनाने की इजाजत दी थी. दरअसल शहीदी मेला सिखों का एक ख़ास पर्व है. गुरु गोविंद सिंह के छोटे साहिबज़ादास के शहीद होने के कारण मनाया जाता है. लाल मस्जिद बाद के मुगलकाल से ताल्लुक रखती है और यह शैख अहमद फारुकी सिरहिंदी के पोते सैफूद्दीन को समर्पित है. दो साल पहले ही मुस्लिम समुदाय द्वारा इस मस्जिद का पुन:निर्माण कराया गया था. सिखों को लंगर बनाने और बांटने के लिए मुस्लिमों ने सिखों के लिए मस्जिद के दरवाजे खोल दिए और साबित किया कि देश में अभी भी लोगों के अंदर इंसानियत बाक़ी है.

मस्जिद के इंचार्ज से इजाज़त मिलने के बाद रंवान और बाथो गाँव के लोगों ने मस्जिद परिसर के अदंर लंगर लगाने का इंतजाम किया. इस मामले पर अपनी खुशी ज़ाहिर क्लारते हुए रंवान गांव के निवासी चरनजीत सिंह छन्नी ने बताया, “मुस्लिम समुदाय ने शहीदी मेले पर लंगर लगाने की इजाजत दे दी है. हम लोगों के लिए खाना बना रहे हैं और तीन दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में लंगर बांट रहे हैं. हमें इस मस्जिद के बेसमेंट का भी इस्तेमाल करने दिया जा रहा है ताकि इसमें हम खाने की चीजों को रख सकें. दोनों गांव के गुरुद्वारों के ज़रिए इस लंगर को आयोजित किया गया है और स्थानीय निवासी यहां आकर अपनी-अपनी सेवा दे रहे हैं. इंचार्ज से इजाजत मिलने के बाद मुस्लिम भी काफी खुश है कि उन्होंने हमारे धर्म के कार्यक्रम के लिए अपनी ज़मीन उपयोग के लिए दी है.”

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काला इतिहास पर उज्जवल वर्तमान

वहीं पटियाला स्थित पंजाबी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर परमवीर सिंह ने बताया कि शैख सिरहिंदी द्वारा सिखों के पांचवे गुरु गुरु अर्जुन देव जी का उत्पीड़न करने में काफी अहम भूमिका रही थी. इसके बावजूद जब बंदा सिंह बहादुर सत्ता में आई तो उन्होंने मस्जिद को नहीं तुड़वाया. ऐसा ही जस्सा सिंह आहलुवालिया और दूसरे सिखों के समय पर भी हुआ जिन्होंने अफगान शासकों को हराया था. सिखों ने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि सिख मुस्लिमों या इस्लाम के खिलाफ नहीं थे, वे केवल मुगल शासकों के खिलाफ थे.

मुसलमान भी खुश

लाल मस्जिद के इंचार्ज खलीफा सयैद मोहम्मद सादिक रज़ा ने सिखों को लंगर बनाने और बांटने के लिए जगह देने पर कहा “हमें खुशी है कि हम सिख समुदाय के काम आ सके. दूसरे धर्म के लोगों में अलग धर्म के लोगों के लिए कोई गलत धारणा नहीं है लेकिन सत्ता में बैठे लोग और राजनेता ही उनका बंटवारा करना चाहते हैं.”