निधिवन का रहस्य जानकर आप भी रह जाएंगे दंग

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वृंदावन नगरी कृष्ण भगवान की नगरी के तौर पर जानी जाती है। भगवान कृष्ण का बचपन इसी नगरी में बिता था। उनके बालकांड से लेकर राधा के साथ उनकी रासलीला का साक्षी बना है वृन्दावन , आपको बताना चाहेंगे निधिवन एक पवित्र, रहस्यमयी धार्मिक स्थान है, जहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण एवं श्री राधा आधी रात में मिलते है और रास रचाते हैं। रास के बाद निधिवन परिसर में स्थापित रंग महल में शयन करते हैं। रंग महल में आज भी प्रसाद प्रतिदिन रखा जाता है।

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आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि शयन के लिए पलंग लगाया जाता है आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि शयन के लिए पलंग लगाया जाता है है कि यहां कोई आता है और प्रशाद भी ग्रहण करता है। लगभग दो ढाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत होते हैं। यह भी मान्यता है कि अगर कोई श्रीकृष्ण की रासलीला को देखने वाला अंधा, गूंगा, बहरा, पागल और उन्मादी हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को बता ना सके..

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निधिवन परिसर में ही संगीत सम्राट एवं धुपद के जनक श्री स्वामी हरिदास जी की जीवित समाधि, रंग महल, बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल, राधा रानी बंसी चोर आदि दर्शनीय स्थान है।

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रास के बाद श्रीराम और श्रीकृष्ण परिवार के ही रंग महल में विश्राम करते हैं। सुबह 5:30 बजे रंग महल का पट खुलने पर उनके लिए रखी दातून गीली मिलती है और सामान बिखरा हुआ मिलता है जैसे कि रात को कोई पलंग पर विश्राम करके गया हो। यह कथा वाकये तोर पर काफी रोचक और रहस्य से भरी हुई है।