समुद्र मंथन से प्रकट हुई 5 कन्याएं कौन थी?

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हिन्दू धर्म में देवताओं और असुरों के बीच युद्ध की कथाएं काफी प्रचलित हैं। उन्हीं कथाओं में से एक जो सबसे ज़्यादा प्रचलित है वो है समुन्दर मंथन. समुद्र मंथन पहला ऐसा काम था जिसे देवताओं और असुरों ने साथ मिलकर किया था। इससे पहले असुरों और देवताओं के बीच हमेशा युद्ध ही देखा गया था। अधिकांश लोगों को यह पता भी नहीं है कि समुद्र मंथन पृथ्वी के निर्माण के लिए हुआ था। क्या आप जानते है सुमंदर मंथन के दौरान निकली पांच कन्याएँ कौन -कौन थी? तो चलिए हम आपको बताते है समुन्दर मंथन से कौन सी कन्या उत्तपन हुई थाई।

रंभा – रंभा अत्यंत सुन्दर थी और दक्ष नृत्यांगना थीं इसलिए इन्हें इंद्रलोक भेज दिया गया था। वह सुंदर वस्त्र व आभूषण पहने हुई थीं, उसकी चाल मन को मोहित करने वाली थी। रंभा इंद्रलोक में नृत्य से देवी-देवताओं का मन लुभाती और उनका मनोरंजन करती. एक बार विश्वामित्र की घोर तपस्या से विचलित होकर इंद्र ने रंभा को बुलाकर विश्वामित्र का तप भंग करने का प्रयत्न किया था।

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लक्ष्मी – धन संपत्ति की देवी के रूप में विश्व भर में पूजे जाने वाली लक्ष्मी माँ समुद्र मंथन के दौरान रत्न के रूप में समुद्र से प्रकट हुईं। इनके अवतरण के बाद देव और दानव सभी चाहते थे कि लक्ष्मी उन्हें मिल जाएं लेकिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया और संसार के कल्याण में एक अहम भूमिका निभाई।

वारूणी – वारुणी समुन्दर से मदिरा लिए हुए प्रकट हुईं। भगवान ने वारुणी को असुरों को सौंप दिया गया।

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तारा– रामायण में कथा मिलती है कि देवराज इंद्र के पुत्र वानरराज बाली ने समुद्रमंथन के दौरान देवताओं को कमजोर पड़ते देख उनकी सहायता करने लगा। बाली के बल और साहस के प्रसन्न होकर देवराज इंद्र ने उन्हें वरदान दिया कि तुमसे जो भी युद्ध करेगा उसका आधा बल तुम्हें मिल जाएगा। साथ ही देवताओं ने सागर मंथन में सहयोग के मंथन से उत्पन्न अप्सरा तारा के साथ बाली का विवाह करा दिया।

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रूमी– रूमी अत्यंत सुन्दर थी और समुद्र मंथन से निकली अप्सराओं में से एक अप्सरा थी। सूर्य पुत्र सुग्रीव को भी अप्सरा रूमी पत्नी स्वरूप मिली। जिस पर एक समय बाली ने अधिकार कर लिया था। अपनी पत्नी को मुक्त कराने के लिए और अपना सम्मान पाने के लिए ही सुग्रीव ने भगवान राम से मित्रता की थी और बाली के साथ वध कर फिर से उसपर अपना अधिकार पा लिया