मध्य प्रदेश- लंबे समय से बंद एशिया की पहली नेपा पेपर मिल एक बार फिर होगी शुरू, 469 करोड़ का पैकेज मंजूर

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बुरहानपुरः नेपा पेपर मिल जो काफी लंबे अरसे से बंद पड़ी थी, एक बार फिर से शुरू होने जा रही है. मध्य प्रदेश के नेपानगर स्थित नेपा पेपर मिल के पूर्वावस्था के लिए 469 करोड़ का पैकेज पर सहमती की गई है.

केंद्रीय मंत्रीमंडल की मीटिंग में मिल के जीर्णोद्धार के पैकेज को हामीदी गई

बता दें कि बीते दिन बुधवार को पीएम मोदी की अगुवाई में हुई केंद्रीय मंत्रीमंडल की मीटिंग में मिल के जीर्णोद्धार के पैकेज को हामी दे दी गई है. लगभग तीन साल से नेपा मिल की फाइल विभिन्न मंत्रालयों में धूल खा रही थी. लेकिन इस बैठक के बाद इस मिल के दोबारा नवीनीकरण के लिए 469 करोड़ के पैकेज को मंजूरी प्राप्त हुई है.

स्थानीय सांसद नन्दकुमार चौहान ने नेपा लिमिटेड को मिली इस सौगात के लिए मोदी को धन्यवाद कहा

नेपा मिल के इस पैकेज को लेकर स्थानीय लोगों में काफी खुशी का महौल है. वहीं रिवाइवल पैकेज के लिए प्रयासरत स्थानीय सांसद नन्दकुमार चौहान ने भी नेपा लिमिटेड को मिली इस बड़ी सौगात के लिए पीएम मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को धन्यवाद कहा है.  वहीं सांसद नंद कुमार चौहान ने नेपा लिमिटेड को मिली इस जीर्णोद्धार के पैकेज को स्थानीय लोगों के रोजगार और निर्माण की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा कदम बताया है.

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क्या है नेपा मिल

आपको बता दें कि नेपा मिल नेपानगर में स्थित एक प्रिंट कंपनी है, जो कि 1981 में बंद हो गई थी. ये भारत में अखबारी कागज बनाने वाला भारत सरकार का सार्वजनिक क्षेत्र का अग्रणी उपक्रम है. इस का प्रारंभ अप्रैल 1956 में हुआ था. नेपा एक एकल उत्पाद कंपनी थी, जो स्टैण्डर्ड अखबारी कागज बनाती थी.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का बयान

कैबिनेट की जानकारी के देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नेपानगर के जीर्णोद्धार के लिए कैबिनेट ने 469 करोड़ के पैकेज को मंजूर किया है. इस पैकेज के अधीन 277 करोड़ की राशि इक्विटी के रूप में दिए जाएंगे, जिससे मिल के रिवाइवल और डेवेलपमेंट प्लान के तहत विस्तार का कार्य किया जाएगा.

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उत्पादन क्षमता बढ़ाए जाने से उत्पादों में विविधता आएगी और उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होगा- प्रसाद

इस मिल की हालिया उत्पादन क्षमता 83 हजार टन है. सरकार ने इस मिल की उत्पादन क्षमता पर वृद्धि कर इसे एक लाख टन करने का फैसला किया है. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार, मिल की उत्पादन क्षमता बढ़ाए जाने से उत्पादों में विविधता आएगी और उत्पादों की गुणवत्ता में भी काफी हद तक सुधार होगा. जिससे मिल आर्थिक रूप से मजबूत होगा और रोजगार का अवसर बढ़ेंगे.