MPC की बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं

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एक खबर आई है कि The Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक में रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है.इसकी बारीकियों को समझते हैं.
खबर को अच्छे से समझने के लिए आपको ये पता होना जरुरी है कि रेपो रेट क्या है? रिवर्स रेपो रेट क्या है ? मौद्रिक पॉलिसी समिति (MPC) क्या है ? तो आइए पहले इनको ही जान लेते हैं-


The Monetary Policy Committee (MPC)-
केंद्र सरकार द्वारा धारा 45ZB के तहत इस कमेटी का गठन किया. यह कमेटी मुद्रास्फीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवशयक नितिगत ब्याज दर निर्धारित करती है.रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट पर यहीं कमेटी फैसला लेती है. इस कमेटी का अध्यक्ष RBI के गवर्नर होता है. कुल मिलाकर इस कमेटी में 6 सदस्य होते हैं. 3 सदस्य RBI से तथा 3 सदस्य भारत सरकार की तरफ से होते हैं. इसका फैसला बहुमत से होता है.
अब सवाल ये उठता है कि रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट क्या होती हैं. चलो फिर इनको भी जान लेते हैं.
रेपो रेट बिल्कुल साधारण शब्दों में बताएं तो RBI बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों को पैसा उधार देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं और RBI बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों से पैसे उधार लेता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. यहां आपको यह भी बताना जरुरी समझते हैं कि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से 25bps कम रहता है. अभी वर्तमान में Repo Rate: 5.15% और Reverse Repo Rate: 4.90% है.

आप MPC, रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट समझ गए होंगे अब आप पूरी खबर को अच्छे से समझ पाएगें.-
रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास की अध्यक्षता में हुई MPC की 6th Bi-monthly( मतलब 2 महीने बाद होने वाली )मीटिंग में नीतिगत दरों में कोई भी बदलाव ना करने का फैसला लिया गया है. इसमें stance accommdative रख गया है. stance accommdative का मतलब ये होता है कि अगली मीटिंग में नीतिगत दरों के कम होने की संभावना है.फरवरी 2019 से अबतक कुल मिलाकर रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती की है. इस मीटिंग में सभी 6 सदस्यों ने नीतिगत दरों में कोई भी बदलाव ना करने के फैसले के समर्थन में वोट किया. इसकी अगली मीटिंग 31 मार्च, 1 और 3 अप्रैल को होगी.

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अब देखते हैं रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है….
मान लो हम रेपो रेट को कम कर देते हैं तो बैंको को RBI से सस्तें ब्याज पर पैसा मिल जाएगा. अगर बैंको के पास पैसा होगा तो वो लोगों को भी सस्ती दर पर लोन उपलब्ध करा पाएगें. इस से लोगो के पास पैसा आएगा. अगर पैसा ज्यादा होगा तो वो पैसा निवेश करेंगें. जिससे अर्थव्यवस्था में गति आएगी तथा महंगाई भी बढ़ जाएगी.

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ठीक इसी तरह रेपो रेट को बढ़ा देते हैं तो मार्केट में पैसा कम आएगा.इससे लोग ज्यादा निवेश नहीं करेंगे आर्थिक मंदी होगी.लेकिन महंगाई कम होगी.
इसी तरह महंगाई को नियंत्रित करने के लिए MPC इन दरों में बदलाव करती है. आपको हमारा ये analysis कैसा लगा comment करके जरूर बताएं……

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